धर्मांतरण करने वालों पर ग्राम सभा का कड़ा प्रतिबंध, भील समाज के रीति-रिवाजों को छोड़ने पर बहिष्कार का फैसला

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ब्रजेश श्रीवास्तव, छकतला 

भील समाज के रीति-रिवाजों को छोड़कर ईसाई धर्म अपनाने वाले परिवारों के ख़िलाफ़ आकडीया ग्राम पंचायत की चिलकदा गांव में ग्राम सभा ने एक सख़्त फ़ैसला लिया है। यह निर्णय दिनांक 09 अक्टूबर 2025 को दिलीप पिता उकारिया के घर पर हुई एक बैठक में लिया गया। ग्राम सभा के अध्यक्ष फुगरिया पिता गीमा की अध्यक्षता में यह बैठक हुई, जिसमें उपस्थित समस्त ग्राम वासियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि आदिवासी (भील समाज) के रीति-रिवाज को छोड़कर जाने वाले व्यक्तियों को ग्राम सभा प्रतिबंधित करती है।

ग्राम सभा ने घोषणा की कि आदिवासी रीति-रिवाजों को छोड़कर ईसाई धर्म अपनाने वाले व्यक्तियों को गांव में होने वाले समस्त धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने से वंचित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, धर्मांतरित परिवार में किसी की मृत्यु हो जाने पर उन्हें भील समाज के शमशान घाट पर अंतिम संस्कार नहीं करने दिया जाएगा। ग्राम सभा ने यह भी निर्णय लिया है कि धर्मांतरित परिवार के घर शादी में किसी प्रकार का सहयोग या मदद नहीं की जाएगी, साथ ही आदिवासी समाज के साथ शादी का रिश्ता भी नहीं जोड़ा जाएगा। सभा के अनुसार, धर्मांतरित परिवारों को आदिवासी होने के नाते शासन की समस्त योजनाओं के लाभ से भी वंचित किया जाएगा। ग्राम सभा ने स्पष्ट किया है कि किसी प्रकार के वाद-विवादों से धर्मांतरण के तहत ग्राम सभा जवाबदेही नहीं रहेगी और उनकी ग्राम सभा के क्षेत्रांतर्गत ईसाई पादरी का आना प्रतिबंधित रहेगा। इस कड़े फ़ैसले से धर्मांतरण के मुद्दे पर समुदाय में तनाव बढ़ने की आशंका है।

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