चुनावी साल में आदिवासी इलाकों में ड्रेमेज कंट्रोल में जुटी शिवराज सरकार, आदिवासी दिवस पर इन 19 जिलों के आदिवासियों को खुश करने की कोशिश

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चंद्रभानसिंह भदौरिया@ चीफ एडिटर झाबुआ-अलीराजपुर

मध्यप्रदेश में आगामी दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में विधानसभा चुनाव होने है। भाजपा के भीतर के सर्वे और कई स्वतंत्र सर्वे यह संकेत दे रहे हैं कि आदिवासी इलाकों में भाजपा की हालत बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है। ऊपर से आदिवासी युवाओं का संगठन जयस विधानसभा चुनावों में गैम चेंजर बनने की स्थिति की ओर बढ़ रहा है। चूंकि मध्यप्रदेश में 47 विधानसभा सीटे अनुसूचित जनजाति कोटे हैं, तथा छह लोकसभा सीटे इस कोटे से आती है, अत: भाजपा सरकार इन सीटों को बेहद महत्वपूर्ण मानते हुए अब इन इलाकों पर फोकस कर रही है। इधर जयस की अधिकारी रैली शुरू हुई है और 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस है और विधानसभा चुनाव के पहले मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाकों में आदिवासियों का रुख किस तरह होगा? यह परख के लिए भी 9 अगस्त बेहद महत्वपूर्ण दिन है। इसलिए शिवराजसिंह सरकार ने एक आदेश जारी कर मध्यप्रदेश श्योपुर, रतलाम, अलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी, धार, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, बैतुल, छिंदवाड़ा, मंडला, बालाघाट, शिवनी, डिंंडोरी, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, सिधी एवं हौशंगाबाद जिले के कलेक्टरों को आदेश दिया है कि वे 9 अगस्त को आदिवासी कल्याण दिवस के रूप में मनाए और विभिन्न तरीके के आयोजन करेंगे। मुख्यमंत्री के करीबी अधिकारी प्रमुख सचिव एसएम मिश्रा के हस्ताक्षर से 27 जुलाई को यह आदेश जारी हुआ है जिसमें इन 19 आदिवासी जिलों के कलेक्टरों से कहा गया है कि वे विश्व आदिवासी दिवस को आदिवासी कल्याण दिवस के रूप में मनाए, जिला मुख्यालय पर विभिन्न तरीके के आयोजन करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इन 19 जिलों में से किसी एक जिले में आदिवासी कल्याण दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे तथा शेष 19 जिलों में जिला मुख्यालयों पर उपस्थित आदिवासी समुदाय के लोगों को संबोधित करेंगे जिसका सीधा प्रसारण किया जाएगा। प्रमुख सचिव की इस चिट्ठी में निर्देश है कि इस अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ सरकार द्वारा आदिवासियों के हितार्थ चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने के साथ शासकीय योजनाओं का प्रचार-प्रसार तथा विभिन्न योजना के तहत आदिवासी हितग्राहियों को हित लाभों का वितरण किया जाए। इस दौरान आदिवासी समुदाय के विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे नीट, जेई-मेंस, एमपीपीएससी एवं अन्य केंद्रीय सेवाओं में चयनित हुए अभ्यर्थियों को पुरस्कार के साथ सम्मान किया जाए। आदेश में स्पष्ट लिखा है कि इस पत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सभी निर्देशों का पालन सुनिश्चित करवाया जाए। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश भारत का सबसे ज्यादा जनजातीय आबादी वाला प्रदेश है यहां की 21 फीसदी आबादी आदिवासी समाज की है, तथा हर मध्यप्रदेश का हर पांचवा शख्स आदिवासी है तथा मिशन 2018 एवं मिशन 2019 पूरा करने के लिए जयस को रोकना और आदिवासियों का भरोसा कमल में बना रहे उसके लिए शिवराजसिंह सरकार को यह कवायद करनी पड़ रही है। इस संबंध में कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता एवं मध्यप्रदेश आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया का कहना है कि अब पछताए होत क्या जब चीडिय़ा चुग गई खेत। भूरिया ने कहा कि केंद्र एवं राज्य की भाजपा सरकारों ने आदिवासियों की उपेक्षा की है, आदिवासी किसान आत्महत्या के लिए मजबूर है तो आदिवासी श्रमिक पलायन को को मजबूर है। आदिवासी इलाकों में न शिक्षक है न डॉक्टर है, आदिवासी बच्चों को न शिक्षा मिल पा रही है और न स्वास्थ्य, ऐसे में चुनाव सामने आने पर शिवराज सरकार आदिवासी कल्याण दिवस मनाने की नौटंकी कर रही है। लेकिन यह आदिवासी इनके झांसे में आने वाले नहीं है, वह उन्हें 2018-2019 में सबक सिखाकर ही मानेंगे।

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