मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
आम्बुआ बस स्टैंड में संचालित शासकीय कन्या एवं बालक प्राथमिक स्कूल में चपरासी तथा सफाई कर्मी के अभाव में गंदगी का साम्राज्य है ।हेण्डपम्प के पास फैला कीचड़ के समीप ही बच्चों के लिए मध्यान भोजन बनाया जाता है । समूह का मत है कि वह खाना बनाने आते हैं सफाई संस्था कराएं जबकि शिक्षण संस्था प्रमुख का कहना है कि वे क्या करें उन्हें चपरासी तथा सफाई कर्मी रखने का अधिकार नहीं है कभी शिक्षक तो कभी बच्चों को सफाई करना होती है। हमारे आम्बुआ संवाददाता के अनुसार यहां संचालित कन्या तथा बालक प्राथमिक विद्यालय में पहुंच कर देखा तो पाया कि भवन तथा सामुदायिक भवन के बीच बनी वाल बाउंड्री की खाली जमीन में फटे कागज तथा रेपर के खाली पैकिट आदि बिखरे पड़े हैं। बस स्टैंड के समीप होने के कारण पेशाब घर के बावजूद पेशाब करने वाले शिक्षण संस्था की दीवारों को खराब करते देखे गए हेड पंप के पास कीचड़ तथा गंदगी पसरी पड़ी है ।चंद कदम की दूरी पर स्व सहायता समूह द्वारा बच्चों के लिए मध्यान भोजन बनाया जाता है जबकि रसोईघर बना हुआ है जिसका उपयोग विगत वर्षों से नहीं किया जा रहा है जहां भोजन बन रहा है ।वहां कीचड़ गंदगी होने से भोजन पर क्या प्रभाव पड़ता होगा और क्या बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता होगा यह विचारणीय प्रश्न है पता चला है कि प्राथमिक विद्यालय में चपरासी तथा सफाई कर्मी की व्यवस्था नहीं है जिस कारण झाड़ू सफाई तथा पीने का पानी आदि कार्य या तो शिक्षक शिक्षिकाएं स्वयं करते हैं अथवा मजबूरी में बच्चों को करना पड़ता है ।शौचालय व्यवस्था है जिसके दरवाजे जीर्ण-शीर्ण हो रहे हैं शौचालय की सफाई हेतु बाहर से सफाई कर्मी हफ्ते या 15 दिनों में बुलाना पड़ता है इसका खर्च भी देना पड़ता है खेत में ताड़ी बेचने वाले बैठते हैं वे या उनके ग्राहक स्कूल की बाउंड्री लांघ कर स्कूल के शौचालय का उपयोग कर गंदगी फैलाते हैं ।चौकीदार नहीं होने के कारण अंधेरा होते ही शराब सिगरेट पीने वालों का जमावड़ा हो जाता है जिसका पता सुबह शराब की खाली बोतलें तथा सिगरेट के टुकड़े आदि देखकर लगता है पालको की मांग है कि प्रशासन यहां सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ भृत्य एवं सफाई कर्मी की व्यवस्था शिक्षण सत्र के दौरान करें।
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