ग्रामीण क्षेत्र में किया जाए मच्छर मार दवाई का छिड़काव

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 विजय मालवी खट्टाली

मौसम में निरंतर उतार चढ़ाव एवं मच्छरों की भरमार से क्षेत्र में नागरिको की नींद उड़ गयी है। गत एक पखवारे से क्षेत्र का मौसम पल-पल करवट बदल रहा है। कभी तीखी धूप,कभी भीषण उमस तो पल भर में ही तेज हवाओं के बीच बूंदाबांदी से मानव शरीर तापमान के साथ सामंजस्य स्थापित नहीं कर पा रहा है। क्षेत्र में मच्छरों के आतंक से नागरिकों के रातों की नींद उड़ गयी है। तीखी धूप व उमस में नागरिक रतजगा करने के लिए विवश है। लोगों का कहना है कि पूर्व में स्वास्थ्य विभाग व परियोजना प्रबंधन द्वारा क्षेत्र में मच्छर रोधी दवाओं का नियमित छिड़काव किया जाता था। किन्तु गत एक दो वर्षो से दवाओं का छिड़काव बंद कर दिये जाने से क्षेत्र में मच्छरों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। मच्छरों की भयावहता का आलम यह है कि मच्छर रोधी क्वायल जलाकर सोने के उपरांत भी मच्छर तीखे डंक मारने से बाज नहीं आते। रात में ही नहीं दिन में भी मच्छरों की हनहनाहट जारी रहती है। जगह-जगह एकत्रित पानी में मच्छर के लार्वा भारी संख्या में पनप रहे है। अगर तत्काल मच्छर रोधी दवा का छिड़काव नहीं किया गया तो ये महामारी से कम साबित नहीं होंगे। लोगों ने जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए क्षेत्र में नियमित मच्छर रोधी दवाओं का छिड़काव कराये जाने की मांग की है।

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