गेहूं खरीदी केंद्र पर विरानी पसरी, कृषक बिक्री हेतु नहीं आ रहे

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

वर्तमान समय में गेहूं की फसल निकालने का होकर कृषक फसल काटने तथा थ्रेशर से निकालकर बिक्री हेतु ला रहे हैं मगर ये कृषक सहकारी शाखा संस्थाओं की मंडी की बजाय व्यापारियों के पास जा रहे हैं जबकि सरकारी गेहूं उपार्जन केंद्रों पर सन्नाटा पसरा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी सरकार को समर्थन मूल्य पर खरीदी के आदेश जारी किए तथा कृषकों को दो माह पूर्व ही बिक्री मूल्य 2015 रूपये  कुंटल घोषित किया गया। मगर जैसे कृषकों ने गेहूं खेतों से निकाला तथा गेहूं उपार्जन केंद्र पर आने की तैयारी की तभी उन्हें पता चला कि निजी व्यापारी केंद्रों तथा मंडियों में गेहूं का अधिक मूल्य लगभग 2100  से 2200 रुपए प्रति क्विंटल दे रहे हैं साथ ही पैसे का भुगतान नगद दिया जा रहा है। जिससे प्रभावित होकर कृषकों ने व्यापारियों तथा मंडी का रास्ता पकड़ा। जैसे-जैसे गेहूं खेतों से बाहर आ रहे हैं वे सीधे व्यापारियों तथा मंडियों में जाकर बेच रहे हैं यही कारण है कि सरकारी गेहूं खरीदी केंद्र पर सन्नाटा पसरा है। जबकि इस समय सरकारी गेहूं खरीदी केंद्रों पर भीड़ रहती थी तथा कृषकों को मोबाइल पर सूचना देकर समय तथा तारीख देकर बुलाया जाता था मगर इस बार कृषकों की बेरुखी ने शासन के खरीदी केंद्रों के गोदाम खाली छोड़ दिया। 

आम्बुआ सहकारी संस्था के खरीदी केंद्र के प्रभारी सुनील चौहान ने बताया कि कृषक फसल बेचने नहीं आ रहे हैं। सूचना भी दी जा रही है फिर भी नहीं आ रहे हैं। 28 मार्च से अभी तक मात्र 11 क्विंटल 50 किलो गेहूं खरीदा जा सका है जबकि विगत वर्ष 2572 कुंटल गेहूं खरीदा गया था। इस बार आम्बुआ खरीदी केंद्र को आम्बुआ बोरझाड़ के अतिरिक्त गुड़ा सहकारी संस्था क्षेत्र से भी गेहूं खरीदी करने का निर्देश शासन स्तर से मिला था तथा इसी कारण आम्बुआ में ही गोदाम बनाया गया था ताकि गेहू जिले पर भेजने तथा वहां से वितरण हेतु उचित मूल्य की दुकानों पर लाने आदि के खर्च से शासन बच सके।

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