गृहस्थ धर्म सबसे बड़ा धर्म : आचार्य सूरत सिंह अमृते

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ब्रजेश श्रीवास्तव, छकतला

51 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ एवं  श्रीमद् भागवत प्रज्ञा पुराण कथा करने के लिए आए अखिल विश्व गायत्री परिवार  के  कथा व्यास सूरत सिंह अमृते जी ने  51 कुंडीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ में विशेष देव आह्वान पूजन किया। जिसमें  मुख्य अतिथि यजमान देवेंद्र सिंह भयडीया रहे, और सर्वतो भद्र  वेदी पूजन मे 35 जोड़े ने पूजन किया तथा चारों दिशाओं कि तत्व वेदी पर अभी अलग अलग परिजनों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया। 

दोपहर में गायत्री परिवार सक्रिय कार्यकर्ताओ कि गोष्ठि शान्ति कुंज हरिद्वार के प्रतिनिधी के द्वारा लि गई,जिसमे42 गावों के संगठनो ने समूह साधना करने का संकल्प पत्र भरे। 

 आज  दूसरे दिन की कथा में बताया कि  गृहस्थाश्रम को ही धन्नो गृहस्थ  आश्रम कहा जाता है गृहस्थ धर्म धन्य है इसी गृहस्थ में से इंजीनियर डॉक्टर साधू-संत  निकलते हैं लेकिन आज परिवार में हम देखते हैं कि हमारा पारिवारिक जीवन नीरश  है हताश है निराश है और परिवार हमारा टूटता हुआ चला जा रहा है बच्चों का अगर जीवन देखते हैं तो आज हमारे बच्चे माता-पिता की बात नहीं मानते हैं बच्चे उत्सृंखल होते हुए चले जा रहे हैं ।क्योंकि हम लोग बच्चों को शिक्षा तो दे रहे हैं लेकिन संस्कार नहीं दे पा रहे हैं। कभी एक मां ने छोटी सी गलती की थी और उसका बेटा चक्रव्यूह में फंस के मारा गया था  आज भी हमारी माताऐं  बहिने वही गलती  कर रही है। कथा व्यास कहते हैं आज सब कुछ होते हुए माता-पिता बड़े दुखी हैं। परेशान है आज स्वर्ग जैसी धरा में वृद्धा आश्रम बनते हुए चले जा रहे हैं ।क्यों क्योंकि माता पिता ने बच्चों को धन कमा कर दिया लेकिन उनको संस्कार नहीं दिया गर्भ के अंदर ही अभिमन्यु ने चक्रव्यूह भेदन की शिक्षा सीख लिया था जब माता सुभद्रा सो रही थी तब अर्जुन ने उन्हें चक्रव्यूह भेदन की शिक्षा की कहानी सुनाई लेकिन छठे द्वार तक अभिमन्यु की मां सुनती रही सातवें द्वार जाते-जाते उसको नींद आ गई तो कहते हैं कि 6 द्वार तो तोड़ सका अभिमन्यु ने सातवें द्वार में फंस गया। भाइयों बहनों गर्भ के अंदर ही हमारा बच्चा 50% सीख जाता है। महाभारत वेद शास्त्र ही नहीं हमारे यूनिवर्सिटी ऑफ मिक्हीगेन के प्रोफेसर क्रूकर एवं काॅंस्ट्रेंज की साझा रिसर्च से जाहिर हुआ है कि कुछ समय का बोध ज्ञान जीव के अंदर समझदारी पैदा करता है और मां को गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए क्या देखना चाहिए क्या नहीं देखना चाहिए क्या सुनना चाहिए क्या नहीं सुनना चाहिए उसको यही समझदारी और ज्ञान नहीं होता है । इसलिए  ऋषि यों  ने संस्कार की परंपरा बनाई संस्कार विहीन समाज बच्चे बिल्कुल वैसे ही होते हैं ।जैसे बगैर न्यू का भवन भवन कितना भी बड़ा हो लेकिन अगर न्यू कमजोर है तो भवन का कोई भरोसा नहीं कब गिर जाए ऐसे ही हमारे बच्चे शिक्षा जगत में भले ही कितनी अच्छी डिग्री ले ले  लेकिन अगर संस्कार नहीं हुआ तो बहुत ऊंचे शिखर पर जाकर के भी वह  नीचे आ सकता है ।

अमृते जी ने बताया अभी बेंगलुरु में 15 साल की मासूम बच्ची ने अपने पिता राज कुमार जैन का क़त्ल कर दिया । क्योंकि बच्चे को शिक्षा तो दी जा रही थी महंगा मोबाइल महंगे सुख साधन लेकिन उसको संस्कार नहीं दिए । भाइयों बहनों पुंसवन संस्कार के बाद में नामकरण संस्कार मुंडन संस्कार विद्यारंभ संस्कार और उसके बाद में बच्चा जब बड़ा होता है 9 साल से 12 साल के बीच में उसे यज्ञोपवित दीक्षा संस्कार दिया जाता है। क्योंकि बच्चा छोटा रहता है तो उसे कहा जाता  सीधा स्कूल जाना सीधा स्कूल से आना वह आता है लेकिन जैसे ही उसकी उम्र बढ़ती है तो शरीर के साथ भावना का विकास होता है फिर वह सोचता है कि मैं सीधा स्कूल से घर क्यों जाऊं ।और बच्चे गुटके की दुकान में जाते हैं पान की दुकान में जाते हैं सिगरेट की दुकान में जाते हैं ।फिर वह बच्चा भटकने लगता है भटकते हुए बच्चे को अंकुश लगाने के लिए सद्गुरु की आवश्यकता  होती हैं। और फिर उसे गुरु दीक्षा संस्कार  कराया जाता है । कल मुंडला  ग्राम के प्रांगण में गायत्री महामंत्र से गुरु दीक्षा संस्कार भी होंगे उस दीक्षा संस्कार में जो भी भाई बहन दीक्षा लेना चाहते हैं गायत्री महामंत्र कि वह अपने भाई बहनों को बच्चों को जरूर लेकर के आंए और कल दीप महायज्ञ भी होगा उस यज्ञ में आप लोग अपने घर से 5=5 दीपक सजा कर ला सकते हैं जो विवाह योग्य कन्याए हैं वह भी पीली साड़ी पहन कर के आ सकती हैं विशेष पूजन के लिए पांच दीपक अगरबत्ती और थोड़े से चावल फूल अपनी थाली में सजा कर ला सकते हैं ।कल ठीक 7:00 बजे से दीप यज्ञ और श्रीमद् पावन प्रज्ञा पुराण कथा का समापन होगा। इसलिए कल युवाओं के लिए कथा में विशेष प्रसंग नशा कैसे छोड़े बुरी आदतों से कैसे बचे  बहुत महत्वपूर्ण विषय होगा अतः सभी भाई-बहन अपने बच्चे परिवार को जरूर लेकर आएं और अखिल विश्व गायत्री परिवार अलीराजपुर मुंडला  ने स्रोताओं के लिए बहुत ही  अच्छी व्यवस्था बनाई है आप सहपरिवार सादर आमंत्रित हैं।

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