गृहस्थ जीवन में रहो मगर भगवान के सानिध्य में रहो- प. अरविंद जी

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ 

हम सांसारिक लोग अपनी दृष्टि से देखते हैं कि भगवान दिखे मगर कैसे दिखेगा। यदि मनुष्य सूरदास मीराबाई हनुमान जी की दृष्टि से देखेगा , तब भगवान अवश्य दिखेगा धर्म के कार्य के लिए समय तथा मुहूर्त नहीं देखा जाता है जब धर्म का कार्य करने का मन हुआ। वहीं समय और मूहर्त है ग्रहकार्य में भले लगे रहो मगर भगवान के सानिध्य में रहो।

उक्त सद्विचार आंबुआ में हाथीनेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में आज 2 अक्टूबर को शुभ आरंभ हुई। श्रीमद् भागवत ज्ञानपक्ष में व्यासपीठ पर विराजमान व्यासपीठाधीश अरविंद भारद्वाज  ने जनमानस के समक्ष व्यक्त किए। आज प्रथम दिवस कथा श्रवण कर रहे कथा रशिको को भागवत कथा के श्राद्ध पक्ष में आयोजन करने के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि मन चंचल होता है उसे किसी योग सद्गुरु मिल जाए तो वह उनका पल्ला पकड़ कर भवसागर से पार हो जाए। भागवत कथा एवं सार्वजनिक प्याऊ के समान है।  भागवत कथा 1 सप्ताह तक नियमानुसार सुनना चाहिए जिसने नियम बना लिया उसके घर कभी गम नहीं आएगा। कथा के पूर्व कस्बे में विशाल जुलूस निकाला गया जिसमें भागवत पोथी को यजमान द्वारकाप्रसाद राठौड़ ने सिर पर धारण किया कथा वाचक भारद्वाज को रथ पर बैठाया जाकर बैंड बाजों के साथ सिर पर कलश धारण बालिकाएं चली रैली कथा स्थल पर पहुंची जहां पूजा-अर्चना कर कथा प्रारंभ की गई भागवत कथा श्रवण के लिए सैकड़ों स्त्री-पुरुष उपस्थित रहे।

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