गीता का ज्ञान सबसे बड़ा ज्ञान है, कोई किसी का रिश्तेदार नहीं – प. कमलेश नागर

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पियुष चन्देल अलीराजपुर
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आलीराजपुर के स्थानीय राजराजेश्वर मन्दीर राजवाड़ा पर कल पंडित कमलेश नागर नानपुर वाले की और से सम्पन्न भागवत कथा के समापन अवसर पर धर्म प्रेमी भक्तो महिला-पुरूषो की मांग पर कथा एक दिन और बढाई गई एवं श्री परशुराम वेद प्रचार अनुष्ठान समिति म.प्र. द्वारा श्रीमदभागवत गीता कथा का आयोजन किया गया।
व्यासपीठ से पण्डित नागर द्वारा कथा वाचन करते हुए बताया कि महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन ने युद्ध में अपने भाईयो से युद्ध करने से मना किया तब भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से बोले मार अर्जुन मार कोई किसी का सगा नहीं, कोई किसी का रिश्तेदार नहीं। जीवन में प्रेम बहुत बडी चीज है। व्यक्ति चाहे जीतना बडा बन जाए यदि उसमें प्रेम नहीं है, तो सब कुछ बेकार है। भगवान प्रेम से दी गई भेंट ही स्वीकार करते है।
वाल्मिक ऋषि का दृष्टांत सुनाते हुए कहा कि कमाई पाप की हो या पुण्य की परिवार केवल कमाई एवं पुण्य का भागीदार है। पाप स्वयं को ही भुगतना पड़ता है। गीता के 18 वें अध्याय में प्रथम श्लोक में धृतराष्ट्र ने प्रथम प्रश्न पूछा कि मेरे परिवार में यह क्या हो रहा है? भाई-भाई ही लडने को तैयार हो गया है। यही आज हम कर रहे है। धृतराष्ट्र तो अंधे थे, हम ऑख वाले होकर भी अनदेखी कर रहे है, आपस में लड रहे है। महाभारत के युद्ध के समय संजय को दिव्य दृष्टी प्राप्त थी, वह दुर से ही देखकर धृतराष्ट्र को युद्ध का पूरा वृतांत सुना रहे थे।
आज प्रमोद मंत्री, रवि जोशी, जगदीश राठौड, रामनाथ यादव, दिपक दिक्षीत, निर्मल सोमानी, मनीष मंत्री तथा गौरव अगाल ने कार्यक्रम की समस्त व्यवस्था की।
आज भी कथा में महिला पुरूषो की काफी भीड रही। श्रोताओं ने गीता की कथा के श्रवण के साथ ही पार्थिव शिवलिंग निर्माण भी किया। ‘‘मेरा राम की कृपा से सब काम हो रहा हैं’’ भजन पर महिला पुरूषों ने नृत्य किया। आज मंच से कथा वाचन का अंतिम दिवस था। कल से 21 अगस्त तक शिवलिंग निर्माण चलता रहेगा। दिनांक 22 से 24 अगस्त तक पंच कुण्डात्मक यज्ञ होगा। यज्ञ की पूर्णाहुति 24 अगस्त दोपहर 11ः00 बजे होगी। इसके पश्चात भण्डारा महाप्रसादी का आयोजन कर एक माह के धार्मिक कार्यक्रमों का विश्राम होगा। कार्यक्रम के यजमान महेश पटेल, मकु परवाल, प्रकाश चन्द्र राठौड, अरूण व्यास, सुमन बेन कुलकर्णी आम्बुआ के साथ कई भक्तो ने आज आरती उतारी। आज भगवती प्रसाद जायसवाल (पिन्टु सेठ) ने अपने पुत्र की स्मृति में प्रसाद वितरण करवाया। कार्यक्रम का संचालन जानकीवल्लभ कोठारी ने किया। पं. नागर ने सभी का आभार माना एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।

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