गणगौर का रंगारंग कार्यक्रम के बाद वाड़ी का विसर्जन, नदी-नालों में पानी नहीं होने से सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के तालाब में किया विसर्जन

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
मालवा निमाड़ के प्रसिद्ध गणगौर पर्व का समापन बड़े ही धूमधाम से हुआ। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की रात को आंबुआ में लगभग 5-6 किलोमीटर दूर ग्रामीण क्षेत्र आगोनी के तालाब में वाड़ी का विसर्जन किया गया। आम्बुआ में श्री राम मंदिर के पुजारी शंकरलाल पारीख ने बताया कि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की ग्यारस को मंदिर में बोई गई वाड़ी (जवारे) की तीज को पूजा के बाद गणगोर के रथ जिन्हें कस्बे में महिलाओं ने सिर पर रख कर जुलूस के रूप में घुमाया। चतुर्थी तिथि को भी इन्हें कस्बे में जुलूस निकाला जा कर हथिनेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में दर्शन पूजन हेतु रखा गया जहां पर महिलाओं तथा पुरुषों एवं बच्चों ने गणगोर के रथ को सिर पर रखकर ढोल की धुन पर जमकर नृत्य किया। घंटों तक सजी.धजी सोलह सिंगार कर आई महिलाओं ने नृत्य किया बोए गए जवारे को आम्बुआ हथनी नदी मे पानी नहीं होने के कारण सुदूर ग्रामीण क्षेत्र लगभग 6 किलोमीटर दूर रात्रि में लगभग 11 बजे जाकर विसर्जन किया। विसर्जन पूर्ण पूजा अर्चना तथा आरती की गई गणगौर पर्व के कार्यक्रम में आम्बुआ के राठौड़ए माहेश्वरी, खंडेलवाल, गुप्ता, भाटी, पडियार, जयसवाल, ठाकुर आदि अनेक परिवारों ने यथा योग सहयोग कर कार्यक्रम को सफल बनाया।
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