ग्रामीणों को खाद के लिए भटकना पड़ रहा है, उचित दाम देकर खाद लाने को मजबूर

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बुरहान बंगड़वाला, खरडू बड़ी

सरकार द्वारा गरीब किसानों के हित के लिए कई योजनाएं दी जाती है जिससे किसानों को लाभ मिल सके इसी के साथ शासन द्वारा किसानों को अपनी फसलों की उपज के लिए खाद की जरूरत है उन्हें आदिम जाति सेवा सहकारी संस्थाओं में पहुंचाया जाता है लेकिन वह खाद जो रेगुलर किसान होते हैं उन्हें दिया जाता है और जो डिफाल्ट होते हैं उन्हें सोसाइटी से किसी प्रकार का खाद नहीं दिया जाता है और ना ही नगद में दिया जाता है जब शासन गरीब किसानों के लिए इतना कुछ करती है तो क्या जो डिफाल्टर किसान लोग हैं वह गरीब किसान की गिनती में नहीं आते क्या जो डिफाल्टर किसान है वह शासन द्वारा आए खाद का लाभ आदिम जाति सेवा सहकारी संस्था से प्राप्त नहीं कर सकते।
रामा ब्लाक के ग्राम खरडू बड़ी के आदिम जाति सेवा सहकारी संस्था मर्यादित मैं भी जो रेगुलर किसान है और जिन्हें सरकार द्वारा ऋण माफी योजना के अंतर्गत ऋण माफी हुई है ऐसे किसानों को सोसायटी से अपनी फसलो मैं डालने के लिए खाद की बैग दी जाती है जबकि जो डिफाल्टर किसान है उन्हें सोसायटी से खाद नहीं दिया जाता है और ऐसे किसानों को नहीं नगद में सोसायटी से खाद दिया जाता है। खाद की जो बैग आती है उसका सरकारी रेट 267.50 है लेकिन यही खाद की थैली बाजारों में 400 से 450 में दी जाती है । जिन्हें सोसायटी से खाद नहीं दिया जाता वह मजबूरन उचित दाम देकर अपनी फसलों को बचाने के लिए खाद लाने को मजबूर है जिस और शासन को ध्यान देना चाहिए?

*किसानों का कहना है* कि शासन द्वारा जो सोसायटी में खाद की थैलियां 267.50 मैं जो सोसायटी में रेगुलर और जो ऋण माफी किसान है उन्हें दी जा रही है और जो डिफाल्टर किसान है उन्हें सोसायटी से खाद नहीं मिल रहा है ।जिससे कारण हमें अपनी फसल बचाने के लिए बाजार में से 400 से 450 का उचित दाम दे कर खाद लाना पड़ता है।

*हमारा शासन से यही निवेदन है कि बाजारों में उचित दामों में खाद मिल रहा वहीं खाद जो डिफाल्टर किसान है उन्हें सोसायटी में ही नगद में सरकारी रेट में दिया जाए।*

*आदिम जाति सहकारी संस्था सोसायटी के खेल सिंह डामोर ने बताया* कि जो किसान हमारे सोसायटी में रेगुलर खातेदार है जिनका ऋण माफी ब्याज में सरकार द्वारा ऋण माफ किया गया ऐसे किसानों को हमें सोसायटी से खाद देना जो हमारी संस्था से भिजवाया जाता है वह हमारे द्वारा जितना खाद आता है हम वितरण करते है।

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