गल घूमकर मन्नतधारियों ने पूरी की मन्नत, देखिए ग्रामीणों ने कैसे निभाई परंपरा 

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 बुरहान बंगड़वाला, खरडू बड़ी

रामा ब्लॉक के ग्राम खरडू बड़ी से 3 किलोमीटर दूर टिचकिया गांव में धुलेटी पर आदिवासी समाज द्वारा वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए सुबह से धुलेटी खेलकर दोपहर बाद गल का आयोजन किया जाता है। जिसे गल बाबजी के नाम से जाना जाता है। जिसे देखने के लिए गांव के आसपास के हजारों ग्रामीण पहुंचते है आदिवासी परंपरा के अनुसार मचान पर लटक कर अपनी मन्नात धारियो द्वारा मन्नत पूरी की जाती है । गल बाबजी को देखने के लिए युवक-युवतियों पारंपरिक वेशभूषा में तो कई आधुनिक वेशभूषा में नजर आए।

मन्नत धारियों ने सबसे पहले गल देवता की पूजा अर्चना की इसके बाद मन्नातधारियो को जमीन से लगभग 40 फीट ऊपर रस्सियों के बीच गल पर उल्टा लटक कर गल देव के चक्कर लगाए इसके बाद ग्रामीणों ने ढोल मंडल के साथ गेर निकाली। पूरे मेले के दौरान पुलिस प्रशासन की तरफ से पुलिस के जवान भी मौजूद रहे।

ग्रामीणों ने बताया कि मन्नतधारियों द्वारा लगभग 30 से 40 फीट ऊंचा मचान मनाया जाता है। जिस पर मन्नत धारियों को उल्टा लटका कर झूला लगाया जाता है। मन्नतधारियों को उसके परिजन रंगीन कपड़े और पगड़ी पहनाकर गीत गाते हुए पूजा स्थान पर लाते हैं यहां तड़वी यानी पुजारी पहले उससे पूजा करवाता है फिर धार डाल कर उसे मचान पर चढ़ाते है जिसके बाद उसे झूले पर उल्टा लटका देते हैं। इसके बाद झूला के दूसरे तरफ रस्सी से लटका कर लोग झूलते हैं लगभग 4 से 5 राउंड मन्नातधारियो को गल देव को घुमाया जाता है।

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