घरों में सुख समृद्धि के लिए की महिलाओं ने दशा माता की पूजा की

सिराज भाई बंगड़वाला, खरडू बड़ी

चैत्र कृष्ण की दशमी के दिन महिलाएं दशामाता का व्रत करती हैं। दशमाता व्रत मुख्यरूप से घर की दशा ठीक होने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं, किंतु जब यह प्रतिकूल होती है तब मनुष्य को बहुत परेशानी होती है, इन्हीं परेशानियों से निजात पाने के लिए इस व्रत को करने की मान्यता है।

खरडू बड़ी में भी सुबह से महिलाओं की भीड़ देखी जाती है एवं पारा से पंडित विष्णु महाराज ओर खरडू बड़ी के शैलेन्द्र पण्डिया महाराज ने महिलाओं को प्रवचन दिए। इस दिन महिलाएं कच्चे सूत का डोरा लाकर डोरे की कहानी कहती है तथा पीपल की पूजन कर 10 बार पीपल की परिक्रमा कर उस पर सूत लपेटती हैं तथा डोरे में 10 गठान लगाकर गले में बांधकर रखती हैं। इसलिए जो भक्त चैत्र कृष्ण दशमी तिथि को दशा माता का व्रत एवं पूजन करते हैं, उनकी दरिद्रता घर से दूर चली जाती है।

यह व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। सुहागिन महिलाएं यह व्रत अपने घर की दशा सुधारने के लिए करती हैं। इस दिन कच्चे सूत का 10 तार का डोरा, जिसमें 10 गठानें लगाते हैं, लेकर पीपल की पूजा करती हैं। इस डोरे की पूजन करने के बाद पूजनस्थल पर नल-दमयंती की कथा महाराज से सुनती हैं। इसके बाद डोरे को गले में बांधती हैं। पूजन के पश्चात महिलाएं अपने घरों पर हल्दी एवं कुमकुम के छापे लगाती हैं। एक ही प्रकार का अन्न एक समय खाती हैं। ओर कहाँ जाता है कि जो भोजन करते है उसमे नमक नहीं होना चाहिए। विशेष रूप से अन्न में गेहूं का ही उपयोग करते हैं। घर की साफ-सफाई करके घरेलू जरूरत के सामान के साथ-साथ झाडू इत्यादि भी खरीदते है।

महिलाओं द्वारा दशा माता की पूजा करने के लिए सुबह से महिलाएं पीपल के पेड़ पर आ जाते है और अपने पति की लम्बी उम्र के साथ घरों में सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना करती है।

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