खण्डहर तथा जर्जर गिरने की कगार पर खड़े भवनों को कब गिराया जाएगा, क्या प्रशासन को किसी दुर्घटना की प्रतीक्षा है

0

मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

आम्बुआ (अलीराजपुर) वर्षा काल में कई स्थानों से भवन गिरने की घटनाओं के समाचार हम लगभग प्रतिदिन पढ़ते और देखते सुनते हैं। बावजूद कई गांव कस्बे शहर ऐसे हैं जहां पर पुराने भवन गिरने की कगार पर खड़े हैं मगर कोई ध्यान नहीं देता है। आम्बुआ में भी ऐसे निजी तथा सरकारी भवन अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहे हैं और यदि गिर पड़े तो ना जाने कितनों को आंसू बहाने पर मजबूर कर देंगे। प्रशासन भी शायद किसी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है निजी हो या सरकारी भवन हर भवन की एक उम्र की सीमा होती है यदि सही रखरखाव ना हो तथा भवन खाली पड़े हैं तो वे अधिक दिनों तक खड़े नहीं रह सकते हैं विशेषकर वर्षा काल में तो वे गिर ही सकते हैं । आम्बुआ कस्बे के बाहर एक पुराना पत्थर कारखाना विगत वर्षों से खंडहरनुमा खड़ा है इसके पास में मंदिर जाने का मार्ग है ।साथ ही समीप ही ईट बनाने का कारखाना एवं भट्टा है जहां से प्रतिदिन आवागमन होता है यदि इस पत्थर कारखाने की दीवार गिर जाती है तो कोई भी भयंकर हादसा होने से नहीं रोका जा सकता है। कई बार समाचार पत्रों में इसका सचित्र समाचार प्रकाशित होने के बावजूद न तो इसके मालिक और न ही प्रशासन ने कोई ध्यान दिया। इसी के साथ-साथ पुराना ग्रामीण सचिवालय भवन जो कि पटवारी का कार्यालय एवं आवास भवन भी रहा था आज वह खाली पड़ा होकर गिरने की कगार पर है स्वास्थ्य विभाग परिसर में मुर्गी पालन केंद्र जो कि पिछले वर्ष आधा गिर चुका है शेष गिरने की कगार पर है ।यहीं पर पशु स्वास्थ्य विभाग के पास नन्दी तथा बकरा बांधने हेतु बना भवन भी पूरी तरह से जीर्ण शीर्ण हो रहा है जो कभी भी गिर सकता है पंचायत प्रांगण के पास पंचायत सचिव निवास तथा कृषि विभाग का भवन भी रख रखाव के अभाव में यह जीर्ण शीर्ण होकर कभी भी गिर सकता है ।इन भवनों की और प्रशासन का ध्यान नहीं है यह भवन वर्षा काल में कभी धरा शाही होकर कोई जनहानि कर सकते हैं नागरिकों की समाचार के माध्यम से मांग है कि ऐसे जानलेवा खण्डहर नुमा भवनों को दुर्घटना से पूर्व जमीन दोज कर दिए जाने चाहिए ताकि भविष्य में कोई जनहानि ना हो सके।

Leave A Reply

Your email address will not be published.