क्षेत्र में महीनों बाद बारिश फसलों को जीवनदान मिला,  अभी भी तेज तथा अधिक बारिश की जरूरत

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

वर्षांत का मौसम सूखा ही राह अषाढ़ से लेकर श्रावणमास सूखे सूखे बीत गए हल्की फुल्की वर्षांत के बीच कृषको ने खेतों में बीज तो बो दिए मगर उगने के बाद वर्षा नहीं होने के कारण पौधों में वृद्धि उनकी उम्र के अनुपात नहीं हो सकी कई कृषकों ने दो बार तक बुवाई की इसके बावजूद आशा के अनुरूप फसलें आकार नहीं ले पाने के कारण कृषट मायूस दिखाई दे रहे थे भादों माह के प्रारंभ में हल्की रिमझिम वर्षा हुई है जिसके कारण मरती जा रही फसलों को इस अमृत समान बारिश से जीवनदान मिला है।

लगभग दो ढाई माह से क्षेत्र में सूखे की स्थिति बनी रहने के बाद अब जाकर हल्की रिमझिम वर्षात शुरु हुई है जिस कारण मुरझा रही फसलें खिल उठी है उसी के साथ-साथ किसानों के चेहरों पर भी सुकून दिखाई देने लगा है एक बार नहीं अपितु दो-दो बार खाद बीज खेतों में झोंक चुके कृषक भगवान से बार-बार बारिश की प्रार्थना कर रहे थे शायद कृषको की प्रार्थना का ही असर है जो कि दो-तीन दिनों से हल्की बारिश क्षेत्र में हो रही है कृषकों को अब आस बंधी है कि जो फसलें बची है वे तैयार हो जाएगी इसी के साथ-साथ उन्हें उम्मीद है कि भादो माह में अच्छी तथा तेज बरसात होगी जिससे नदी नालों तथा तालाबों में जल संग्रह होकर भविष्य में जल समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा तथा आगामी फसलें भी उपजा सकेंगे।

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