कोरोना गाइडलाइन के नियमो की धज्जियां उड़ाता प्राइवेट स्कूल बच्चो को फ़ीस के लिए बाहर बैठाया

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जीवनलाल राठौड@ सारंगी

देश में शिक्षा का अधिकार अनिवार्य कानून लागू है इस कानून का मुख्य उद्देश्य गरीब से गरीब वर्ग के व्यक्ति को शिक्षा से वंचित नहीं रखा जाए । वही पिछले 2 वर्षों से कोरोना के चलते शिक्षा एवं बच्चों की पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ा है । समय-समय पर शासन प्रशासन और प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा कोरोना गाइड लाइन का पालन कराते हुए शिक्षा से जुड़ी गतिविधियों के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए जा रहे हैं ।

अभिभावकों को उठाना पड़ रही शर्मिंदगी
वही बच्चों की पढ़ाई और उनसे वसूली जाने वाली फीस को लेकर भी सरकार के द्वारा कई प्रकार के निर्देश दिए हैं एक तरफ कोरोना कॉल के चलते लोगों के काम धंधे बंद है वही बच्चों को पढ़ाना उनकी जिम्मेदारी है और इस जिम्मेदारी का निर्वहन करते करते माता-पिता को कई बार स्कूलों की मनमर्जी और हठधर्मिता के कारण शर्मिंदगी भी उठनी पडती है तो बच्चो की अपने पालको व शिक्षा के प्रति विपरित मानसिकता प्रभावित कर रही है ।  ऐसा ही एक और वाक्या पेटलावद में देखने को मिला है

ये है मामला
रायपुरिया मार्ग पर स्थित संस्कार वैली पब्लिक स्कूल में बड़ी संख्या में सारंगी तथा आसपास क्षेत्र के बच्चे पढ़ते है जिसमें से अधिकतर बच्चे मध्यम वर्गीय परिवार से आते है । अधिकतर छात्र- छात्राओं के परिजन लॉकडाउन में अपनी आर्थिक स्थिती खराब होने के चलते फीस जमा नहीं कर सके है । फिस जमा न होने की स्थिती में स्कुल द्वारा बच्चो को बाहर बैठाया गया ओर शासन की उचित गाईडलाइन का भी पालन नही किया गया जो संस्कार वैली पब्लिक स्कूल में कोराना की गाइडलाइन के उल्लंघन का महज एक उदाहरण है । वैसे अधिकतर निजि स्कूलों में यही हाल है की मास्क लगाना तो दूर दो गज की दूरी भी नहीं है । हालात यह है की एक को देखकर दूसरे भी कोरोना की गाइडलाइन को भूलते जा रहे हैं । पालकों ने कहा कि ऊंची फीस जमा करके अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य देखकर निजी स्कूलों में दाखिला करवाते हैं, लेकिन सरकारी तंत्र की चूक ने इन स्कूलों को शिक्षा का नही व्यापार का केंद्र बनाकर रख दिया है । शिक्षा का स्तर कितना नीचे जाए इससे निजी स्कूल संचालकों को फर्क नहीं पड़ता ऐसा ही एक मामला पेटलावद की स्कूल में  देखने मिला जहा स्कूल के विद्यार्थियों को इस सत्र की फीस जमा नहीं करने पर बाहर बैठाया गया ।

बच्चों की मानसिकता पर विपरीत प्रभाव

इस तरह से निजी विद्यालयों के द्वारा मनमर्जी से फीस वसूली के लिए अभिभावकों और बच्चों को परेशान करने के साथ ही साथ पढ़ाई के लिए बमुश्किल गए बच्चों को स्कूल से बाहर बिठाने से न सिर्फ बच्चों की मानसिकता पर विपरीत असर गिर रहा है वहीं अभिभावकों को भी शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है । सत्यता यह भी है की नासमझ बच्चे कोरोना के चलते अपने पालको की वर्तमान आर्थिक स्थित से अनभिज्ञ है ।

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