अलीराजपुर लाइव के लिऐ “नानपुर से जितेंद्र वाणी एंव मुकेश परमार की रिपोर्ट ॥ अंग्रेज तो चले गये लेकिन खाकी की मनमानी नही जा रही है अभी भी “इकबाल” के आधार पर प्रशासन करने का दम भरने वाली पुलिस देश के कानून ओर देश की सबसे बड़ी अदालत से भी खुद को ऊपर समझने लगी है । ताजा उदाहरण अलीराजपुर जिले के नानपुर थाने के पलासदा गाव का है ।
यह है मामला–दरअसल विगत 23 अप्रैल 2015 को नानपुर थाने के पलासदा गाव की रहने वाली 11 साल की 6 वी कक्षा की एक बालिका जो अपनी सहेली गीता के साथ मसनी गाव से एक शादी समारोह मे शामिल होकर लोट रही थी तभी आरोप है कि गाँव के ही मुकेश नामक शख्स ने जो कि दो बच्चो का बाप भी है ने उसे दोडा दोडाकर पकडा ओर फिर बलात्कार किया उसके साथ आ रही गीता ने भागकर अपने दादा ओर पीड़िता के परिजनों को इसकी जानकारी दी ओर परिजनों का आरोप है कि जब उन्होंने आकर देखा तो आरोपी बलात्कार कर रहा था ओर उनके द्वारा छुडाये जाने पर भाग खड़ा हुआ ।
चार घंटे बैठाकर फिर लिखी छेड़छाड़ की रिपोट॔
देश का कानून ओर सबसे बडी अदालत के साथ सीआरपीसी कहती है कि पीड़िता के कहे अनुसार मामले मे एफआईआर दर्ज करना चाहिए उसके बाद विवेचना कर सत्यता परखनी चाहिए लेकिन अलीराजपुर मे शायद पुलिस सीआरपीसी नही मानती । नानपुर पुलिस ने बिना बालिका का मेडीकल परीक्षण करवाये सीधे 354 यानी छेड़छाड़ ओर लैंगिग अपराध की कायमी चार घंटे तक पीड़िता को थाने पर बैठाये रखने के बाद की । पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया है कि आरोपी से नानपुर पुलिस मिल चुकी है इसलिए मनमानी रिपोर्ट दर्ज की है
यह बोले जिम्मेदार–इस मामले मे इलाके के एसडीओपी “आनंदसिंह वास्कले” ने बताया कि हमने विवेचना के बाद ही छेड़छाड़ दर्ज की है बालिका के साथ बलात्कार की बात झुठी है ओर लडकी ओर उसके परिजन झुठ बोल रहे है ।।
यह है नियम- नियमानुसार पुलिस को एफआईआर पीड़िता के बताये अनुसार दर्ज करनी थी ओर मेडीकल परीक्षण करवाना था । अब अगर बाद मे 376 जोडी जाती है तो आरोपी को न्यायालय मे फायदा हो सकता है इसलिए नानपुर पुलिस की नियत पर सवाल उठ रहे है ।