कायाकल्प की राह देखते दो खंड शिक्षा कार्यालय

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भूपेंद्र बरमंडलिया, मेघनगर
एक ओर पूरा देश 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी में लगा हुआ है सभी सरकारी भवनों की रंगाई पुताई का काम चल रहा है और वही दूसरी ओर मेघनगर की बात करे तो नगर में वर्ष 2015 के पहले खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय व जनपद शिक्षा केंद्र दोनों एक ही जगह संचालित होते थे लेकिन 2015 में खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय तहसील कार्यालय के पास संचालित हो गया था लेकिन साहब को इतना भी समय नहीं मिल रहा की। इस पुराने भवन की रंगाई पुताई कर यहा पर कार्यालय खंड शिक्षा अधिकारी की जगह कार्यालय खंड स्त्रोत समन्वयक जनपद शिक्षा केंद्र लिखवा सके। ऐसा लगता है की साहब द्वारा इस इस भवन की रंगाई पुताई अभी तक नहीं करवाई गई, जब की साल में दो बार मनाये जाने वाले राष्ट्रीय पर्व भी आते है और बड़ी धूमधाम से मनाये जाते है। राष्ट्रीय पर्व में इस सरकारी कार्यालय पर क्या अब तक रंगाई पुताई नही हुई है। ऐसे में इस पुराने भवन में जहां पूर्व में खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय संचालित हो रहा था आज भी वहा खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय लिखा हुआ है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है की विगत 3 वर्षो पूर्व जब खंड शिक्षा अधिकारी अपने नवीन भवन में शिफ्ट हो गया तो उसके बाद अब तक तीन वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद आज तक इस कार्यालय का कायाकल्प नही हुआ और नही यहा पर बैठने वाले अधिकारी का ध्यान कार्यालय खंड स्त्रोत समन्यवक जनपद शिक्षा अधिकारी निर्मल त्रिपाठी ने इस को परिवर्तित करने को मुनासिब भी नही समझा ऐसे में अब ऐसा लगता है कि शायद साहब को खंड स्त्रोत्र समन्यवक की बजाय खंड शिक्षा अधिकारी बनने का मोह है। अब अगर बात ग्रामीण इलाके की स्कूलों की बात की जाये तो ग्रामीण स्कूलों के हाल और भी बुरे है। कई स्कूलों में शिक्षक समय पर नही पहुच रहे है तो कही ताले ही लगे हुवे रहते है। और कई स्कूलों की हालात बात से बतर ही चुके है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है की अगर साहब अपने कार्यालय का बोर्ड ही नही बदल सके तो ग्रामीण स्कुलो को क्या चेक करेगे यह तो वही जाने। ऐसे में क्या कार्यालय को तीन वर्षो से कांटिजेंसी राशि जो रिपेयर और रंग-रोगन के लिए आती है नही आई या रंग रोगन कराना मुनासिब नहीं समझा।
कुछ दिन पूर्व सुर्खियों में रहे निर्मल त्रिपाठी पर समूह के सदस्य ने 10 हजार की राशी की मांग का आरोप लगाया गया था। मगर इस मामले को ठंडे बसते में डाल दिया गया। यूं कहे की साहब की सेटिंग ने कमाल कर दिया क्योंकि यह बात अब चौराहे पर जन चर्चा का विषय बनी हुई है की आखिर साहब पर कार्यवाही क्यों नही हुई, जब इस मामले में मीडियाकर्मी द्वारा जब इस विषय में जिले के कप्तान कहे जाने वाले कलेक्टर आशीष सक्सेना से मोबाइल पर चर्चा करना चाही तो उन्होंने फोन रिसीव नही किया इस विषय में खंड शिक्षा अधिकारी बीएन शर्मा से दूरभाष पर चर्चा की तो उन्होंने कहा की में साल 2015 से तहसील कार्यालय के पास नवीन भवन में बैठ रहा हूं। आप लोगो ने मुझे जानकारी दी में दिखवाता हूं। इस मामले में जब डीपीसी झाबुआ एनएल प्रजापत से बात की गई तो उन्होंने कहा की इस मामले में बीइओ या एसी से बात कर ने का कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। अब तो समझ में नही आ रहा है की वास्तव में साहब को पद का मोह है या उन्हें खंड शिक्षा अधिकारी पद से स्नेह है यह तो वही जाने मगर अब स्वत्रंत्रता दिवस के पूर्व कही साहब अपनी कुर्सी छोड़ जग जाये तो शायद खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय का बोर्ड हट जाए और साहब ग्रामीण इलाको के स्कूलों का भी बिना सूचना के दौरा करे तो कई अनियमितता सामने आएगी।

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