कदवाल के जंगलों में वन तस्करों की चांदी, वन विभाग की टीम ने दो तस्करों को धरदबोचा

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अलीराजपुर ब्यूरो चीफ फिरोज खान की रिपोर्ट-
चशे आजाद नगर के कदवाल के जंगल में सागवान लकड़ी के पेड़ कटे होने के बाद भी वन अमला मौके पर नहीं पहुंचेने को लेकर अलीराजपुर लाइव ने अपने वेब पोर्टल में समाचार प्रकाशित किया था जिसके बाद वन विभाग का अमला आनन-फानन में मौके पर पहुंचकर सागवान के कटे पेड़ की लकड़ी सहित दो आरोपियों को गिरफ्तार करने मे कामयाब हासिल की। गौरतलब है कि आजाद नगर क्षेत्र के कदवाल के भजियाणा जंगल के बीट 17 से सात सागवान के पेड़ काटने व कटे पेड़ की लकड़ी मौके पर पड़ी होने के बाद भी वन अमला कटे पेड़ को चिन्हित किया गया, ना ही पीआर काटी गई थी जिसे लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित होने के बाद वन विभाग हरकत में आया और शुक्रवार को अपने दल-बल सहित वन विभाग मौके पर पहुंचा वहां पड़ी कटी लकड़ी जब्त कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिसमे से एक आरोपी अमरसिंह मानसिह 35 वर्ष निवासी रठोड़ी के खिलाफ दो प्रकरण पहले भी बने बनाए गए जिसमें वह फरार चल रहा था। दूसरा आरोपी कालु पिता रायचन्द 35 वर्ष निवासी कदवाल को गिरफ्तार किया जिसमे से दो आरोपी फरार बताए जा रहे हैं। जब्त की सागवान की दो पेड़ की लकड़ी की अनुमानित कीमत 2 लाख रुपए आंकी गई जिसे वन विभाग आजाद नगर में चिह्नित कर रखा गया है।
वन विभाग की हड़ताल, और पेड़ों की बलि, कहीं मिलीभगत तो नहीं…..
इधर आजाद नगर रेंजर संदीप रावत ने बताया कि 15 दिन पहले जो पांच पेड़ काटे थे। उस उस वक्त वन विभाग का अमला हड़ताल पर चल रहा था। चार दिन पहले जो दो पेड़ कटे है जिसकी लकड़ी जब्त कर चार आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। दो गिरफ्तार है दो फरार है। एक पखवाड़े पूर्व काटे सागवान के पांच पेड़ को गुजरात बेचना बताया जा रहा है, जांच जारी है वाहन के साथ व्यक्ति का पता लगाकर उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कदवाल के जंगल में वन विभाग का अमला ताजी हवा खाता है
वन विभाग का अमला कदवाल में सांठगांठ कर चल रहा है ऐसा प्रतीत होता है तभी तो वन तस्कर न केवल इस क्षेत्र में पेड़ काट रहे हैं बल्कि गुजरात के दाहोद शहर में आसानी ले जाकर बेच आते हैं और जमकर चांदी काट रहे हैं। बीट 17 में पांच पेड़ कट चुके हैं उसके बाद फिर से दो लाख रुपए के सागवान के पेड़ कट जाना, वन विभाग के अमले पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहा है। अब यह कहा जाने लगा है कि कदवाल में वन महकमा सिर्फ जंगल में आकर ताजी हवा खाने तक सीमित हो गया है। दशकों पुराने सागवान के पेड़ काटे जाने के बाद विभाग के जिम्मेदारों के पास कोई जवाब नहीं है। और मैदानी कर्मचारी लापरवाही लगातार बरतते जा रहे हैं।

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