कथा सुनने से शरीर को नहीं आत्मा को शक्ति मिलती है : अजय आनंद महाराज

May

अलीराजपुर लाइव के लिए आम्बुआ से बृजेश खंडेवाल की रिपोर्ट-
जब आप का साथ सब छोड़ दे, घर वाले, समाज, रिश्तेदार सभी साथ छोड़ दे। भगवान ने कहा कि तब तुम मेरे पास आना मेरा द्वार हमेशा खुला है। भागवत में लिखा है प्रेम उसी से करो जिसके मन मे परमात्मा का वास हो, जीवन में हम भजन नही करते है, बुरी संगत के साथ जाने मात्र से हम बर्बादी को प्राप्त करते है। अगर अपना मन भजन में लगा ले अपना और अपनी आने वाली संतान भी तर जाती है। मीरा ने भजन के माध्यम से प्रभु को प्राप्त कर लिया था। कथा सुनने से शरीर को नहीं, मन को शक्ति मिलती है। कथा सुनना है तो भागवत कि कथा सुनो इसके सुनने से कष्ट दूर-दूर तक नहीं आता, जब बुरा समय आता है तब सभी अपने मां-बाप, बेटा, बेटी ये समाज सभी साथ देते है। अगर साथ देंगे तो केवल शमसान तक छोड़ते है। मगर स्वर्ग और नरक मे जाने के लिये किए गए कर्म के आधार जाना सुनिश्चित करता है। भगवान बुद्ध के विद्वान थे वे अपने कर्म पर भरोसा करते थे कि मुझे स्वर्ग मे ही जाना है। हम भी अपने अच्छे काम करो कि हमे पहले ही आभास हो जाए कि हम भी मरने के बाद हमारी आत्मा स्वर्ग मे जाएगी। आम्बुआ के राठौड़ समाज के द्रवारा भागवत कथा मे संत अजय आनंद महाराज ने कही। कथा के प्रारम्भ से पूर्व समाज सहित संपूर्ण ग्रामवासियों के साथ कलश यात्रा ग्राम के साथ भागवत की शोभायात्रा यजमान नन्दकिशोर राठौड़ खट्टाली वाले ने भागवत गीता को सिर पर रखकर नगर के प्रमुख मार्ग से बैंडबाजे के साथ यात्रा निकालकर कथा का प्रारम्भ की। कथा के प्रारम्भ होते ही तेज बारिश होने लगी। मगर श्रोता महिला एवं पुरूषों ने भारी बारिश के बाद भी कथा का श्रवण किया।