धार्मिक चेतना का स्वरूप बनी कावड़ यात्रा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ–धर्म जागरण विभाग ने किया आयोजन 

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शिवा रावत, उमराली

भारतीय संस्कृति में नदियों को माँ का स्वरूप माना गया है और उनके तटों पर धार्मिक आयोजन जनमानस को न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ते हैं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना को भी जीवंत करते हैं। इसी कड़ी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के धर्म जागरण विभाग द्वारा छकतला खंड के अंतर्गत एक भव्य कावड़ यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें 78 गांवों के प्रतिनिधियों ने सहभागिता की।

यह आध्यात्मिक यात्रा ग्राम आकड़िया में स्थित पावन माँ नर्मदा तट से विधिवत पूजा-अर्चना के साथ प्रारंभ की गई। श्रद्धालुओं ने माँ नर्मदा से आशीर्वाद लेकर पवित्र जल कावड़ में भरकर पदयात्रा आरंभ की। कंधे पर कावड़ उठाए स्वयंसेवक, युवा, ग्रामीण प्रतिनिधि, मातृशक्ति व ग्रामवासी पूरे उत्साह और अनुशासन के साथ आगे बढ़े।

धार्मिक एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक

यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं थी, बल्कि यह भारतीय जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना और धार्मिक जागरूकता का संदेश देने वाली एक जनचेतना यात्रा थी। सभी गांवों से आए प्रतिनिधियों ने संगठनबद्ध होकर यह दर्शाया कि धर्म केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक सकारात्मक, संयमित और सेवा-भावना युक्त पद्धति है।

मथवाड़ में धर्म सभा का आयोजन

यात्रा का समापन स्थल मथवाड़ रहा, जहाँ एक भव्य धर्म सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में अनेक वक्ताओं ने धर्म, संस्कृति और समाज के बीच के गहरे संबंध पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे धर्म जागरण के माध्यम से हम अपने गांवों में राष्ट्रभक्ति, सदाचार और आत्मबल की भावना को मजबूत कर सकते हैं।

यात्रा का संदेश

यह कावड़ यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। इसमें न केवल धार्मिक आस्था थी, बल्कि अनुशासन, एकता, और सामाजिक उत्तरदायित्व का भाव भी दिखाई दिया। यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि जब समाज के सभी घटक धर्म और संस्कृति के लिए संगठित होते हैं, तब एक शक्तिशाली और सकारात्मक परिवर्तन संभव होता है।

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