इस तरह गुजरात के शहरों से संघर्ष कर पैदल पहुंचे जिले के श्रमिक, मीडिया व आम नागरिकों के सहयोग से ग्रामीणों को पहुंचाया उनके घर
भूपेंद्रसिंह नायक पिटोल
गुजरात के ठेकेदारों द्वारा निकाले जा रहे पलायन पर गए आदिवासी मजदूरों को गुजरात सरकार बॉर्डर तक तो व्यवस्थित तरीके से पहुंचा रही है परंतु मध्य प्रदेश सरकार अपने ही प्रदेश के अशिक्षित ग्रामीणों को अपने घर पहुंचाने में असक्षम दिखाई दी। इसके लिए उसके पास ना भोजन की व्यवस्था ना पानी की व्यवस्था। कल सुबह से गुजरात से निकाले जा रहे हैं मध्य प्रदेश के सभी जिलों के मजदूरों को पिटोल बॉर्डर से पैदल चलकर अपने ग्रह ग्राम तक पैदल ही जाना था इनमें कई महिलाएं जिनकी गोद में नवजात बच्चे 2 वर्ष के बच्चे बच्चियां एवं हजारों की संख्या में पुरुष जो गुजरात के महानगरों से निकाले जा रहे हैं जो सूरत अहमदाबाद, राजकोट, मोरबी, भरूच, बड़ौदा आदि जगहों से दो से 3 दिन अंदर ही अंदर पैदल चलकर बाहर हाईवे रोड तक पहुंचे जहां से उन्हे खाली ट्रक खाली आइशर खाली कंटेनर एवं भारी रकम चुका कर ऑटो रिक्शा से मध्य प्रदेश की बॉर्डर तक आना पड़ रहा है जिसमें कई लोग तो भिंड, मुरैना, ग्वालियर लंबी दूरी के थे। वही पैदल चलने वाले यात्री पैदल चल मजदूरों में धार, दसई ,रायपुरिया, सारंगी, झाबुआ, राणापुर ,कल्याणपुरा आदि के लोग पदयात्रा कर बामनिया आदि लोग पर यात्रा कर अपने घर पहुंचने में आसक्षम दिखाई दिए एवं अपने घरों पैदल ही यात्रा करने को मजबूर हुए। इसके चलते सोशल मीडिया पर पिटोल के संवाददाता भूपेंद्र नायक की एक पोस्ट के बाद सारा प्रशासन राजनीतिक दलों के नेताओं में हड़कंप होने के बाद इन पर यात्रा करने वाले लोगों की सुध ली गई जिसमें पिटोल नगर नगर सुरक्षा समिति के सदस्यों सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा इनके लिए सेव, परमल, बिस्किट की व्यवस्था करने के बाद प्रशासन भी इनके खाने की व्यवस्था करने में जुट गया।
शासन ने की 9 बसों की व्यवस्था हुई पिटोल के बस मालिकों ने अपने खर्च पर 5 बसों को सेवा कार्य में लगाया
जहां कल तक स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मचारी पिटोल बॉर्डर पर काम कर रहे थे। वही रात को जब सोशल मीडिया के माध्यम से यह बात प्रशासन तक पहुंची कि गुजरात से हजारों की संख्या में पलायन करने वाले आदिवासी मजदूर पिटोल बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं। प्रशासन में स्वास्थ्य की जांच करने के लिए संसाधनों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की कमी पड़ रही थी तो तत्काल स्वास्थ्य कर्मचारी एवं प्रशासनिक अधिकारी मुस्तैद काम कर होकर काम करने लगे जिसमें झाबुआ के एसडीएम डॉ अभयसिंह खरारी के साथ राजस्व विभाग पुलिस प्रशासन कामला भी मुस्तैद नजर आया।
सामाजिक संगठनों ने निभाई सार्थक भूमिका
सुबह पिटोल के सामाजिक कार्यकर्ता भूपेंद्र नायक द्वारा झाबुआ के सकल व्यापारी संघ के अध्यक्ष नीरज राठौर से वार्तालाप की ओर पद यात्रियों के भोजन की व्यवस्था के लिए कहा गया तो उन्होंने तुरंत 100 पैकेट भोजन की व्यवस्था कर दी जिसे झाबुआ के पूर्व विधायक भाजपा विधायक शांतिलाल बिलवाल के हाथों विजवा कर फुलमाल से पिटोल के बीच वितरण किया। वहीं जैन समाज के सामाजिक कार्यकर्ता राजरतन एवरफ्रेश के मालिक संदीप कुमार जैन द्वारा 1000 भोजन के पैकेट का वितरण किया गया जिसका भोजन पाने वाले सभी लोगों ने दिल से आभार व्यक्त किया सही मायने में यही नर सेवा नारायण सेवा के भाव है जो मनुष्य की विपदा पर मैं मानव जीवन को बचाने के लिए काम आए वही शक्ल व्यापारी संघ झाबुआ एवं चिराग फाउंडेशन एवं रोटी बैंक के जितने भी कार्यकर्ता थे। वे भोजन एवं खिचड़ी लेकर भोजन पानी एवं की व्यवस्था कर पिटोल बॉर्डर पर वितरण करने के लिए पहुंचे जिन्होंने गुजरात से आने वाले सभी मजदूरों में वितरण किया।
प्रशासनिक व्यवस्थाओं में किया इजाफा
व्यवस्थाओं का जायजा लेने पिटोल बॉर्डर से जैसे ही एएसपी विजय डावर झाबुआ के लिए निकले तब पिटोल बाईपास हाईवे पर पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल पिटोल के सामाजिक कार्यकर्ता भूपेंद्र नायक, विनय पंचांग एवं संदीप जैन ने रोककर पद यात्रियों की व्यथा के बारे में अवगत कराया था। उन्होंने कहा कि हमारी तरफ से 9 बसे बॉर्डर पर इन मजदूरों के गंतव्य के लिए लगाई जा रही है। वहीं पिटोल के बस मालिक से मधु गौतम दिनेश दिनेश मेवाड़ा मुकेश बसेर ने अपने खर्च से झाबुआ जिले ग्रामीणों को अपने ग्रह ग्राम पहुंचाने की जिम्मेदारी ली ग्रामीणों ने धन्यवाद अदा किया।
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