आदिवासी संस्कृति का महापर्व भगोरिया शांतिपूर्वक संपन्न

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

एक वर्ष के लंबे अंतराल के बाद संपन्न होने वाला अंतिम भगोरिया मंगलवार को आम्बुआ में संपन्न हो गया इस बार बड़े झूले मौत का कुआं आदि नहीं आने के कारण भगोरिया मेला स्तर पर रोनक नहीं रही लेकिन बाजारों में धंधा व्यवसाय ठीक रहा परंपरा के अनुसार विभिन्न राजनीतिक दलों तथा संगठनों ने ढोल मांदल पर गेर निकाली।

           जैसा की विदित है कि होलिका दहन से पूर्व एक सप्ताह तक भगोरिया मेलों का आयोजन साप्ताहिक हाट बाजार के दिन किया जाता है आदिवासी समुदाय का यह सांस्कृतिक पर्व नई फसल तैयार होने के समय मनाया जाता है यह पर्व अपनी मस्ती में झूमने नाचने गाने आदि के साथ पुरातन आदिवासी सांस्कृतिक को बनाए रखने के लिए मनाया जाता है जिसमें छोटे-बड़े स्त्री पुरुष सभी भाग लेते हैं भगोरिया मेला विशेषकर झूले, चकरी, पान, खजूर, शक्कर की माजम तथा क्षेत्रीय ताड़ी की मस्ती का होता है जिसमें सब झूमते नजर आते हैं भगोरिया मेले में इस बार आगामी विधानसभा 2024 हेतु राजनीतिक पार्टियों का मुख्य आकर्षण वाला रहा लगभग हर कस्बा शहर जहां पर भगोरिया मनाया जाता है वहां सभी राजनीतिक दलों की उपस्थिति देखी गई प्रदेश की प्रमुख पार्टियां कांग्रेस तथा भाजपा के साथ-साथ आम आदमी, जय संगठन, भील सेना ने आम्बुआ भगोरिया में गैर निकालकर माहौल का रंग रंगीला बना दिया सुबह से लेकर शाम तक भगोरिया की मस्ती में सब झूमते नजर आए प्रशासनिक नजर पूरे दिन बनी रही पुलिस विभाग, राजस्व विभाग का अमला सतत निगरानी में लगा रहा समाचार लिखे जाने तक भगोरिया शांतिपूर्वक संपन्न होने की खबर है।

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