शिक्षण संस्था को बाइक स्टैंड बनाया, कोई रोकने वाला नहीं, वाहन चालकों की मनमानी 

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

क्षेत्र में दो पहिया चार पहिया वाहन जो कि अधिकांश कोरोना काल में तब खरीदे गए थे जब क्षेत्र में यातायात पर प्रतिबंध था उसी का नतीजा है कि सड़क पर यह वाहन सर्वाधिक दौड़ते नजर आते हैं जब यह वाहन ग्रामीण क्षेत्र से कस्बा या शहरी क्षेत्र में आते हैं तब इनको खड़े रखने की समस्या आती है ऐसी स्थिति में वाहन चालक सुरक्षित स्थान की तलाश करते हैं तथा वाहन खड़ा कर देते हैं। 

आम्बुआ कस्बा तथा आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में इन दिनों दो पहिया चार पहिया वाहनों (बाइक जीप आदि) की भरमार है इन वाहनों  से ग्रामीण हाट बाजार के लिए कस्बे में आते हैं सैकड़ो की संख्या में जब यह वाहन आते हैं तब इन्हें खड़ा करने की समस्या आती है अधिकांश दो पहिया वाहन बस स्टैंड के समीप प्राथमिक कन्या, बालक विद्यालय प्रांगण में खड़े कर देते हैं यहां यह सुरक्षित मानते हैं मगर इनके खड़े  रहने आदि से छोटे छोटे बच्चे असुरक्षित हो जाते हैं खेलते समय बच्चे कई बार मोटरसाइकिल के पास चले जाते हैं उन पर चढ़ने का प्रयास करते हैं जिससे वाहन गिर जाने का भय बना रहता है बाइक चालक जब उन्हें वापस लाते ले जाते हैं तब बच्चे अचानक सामने आ  जाने से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है इसी संस्था में आधार केंद्र संचालित होने से ग्रामीण तथा अन्य लोग बाइक लेकर आते हैं तथा प्रांगण में खड़ी कर देते हैं जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं है यदि शिक्षक कुछ कहते हैं तो वाहन चालक विवाद करने की कोशिश करते हैं मजबूरन वे भी चुप्पी साधे बैठे हैं दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं स्कूल का गेट हमेशा खुला रहने के कारण दो पहिया वाहन सीधे अंदर तक आ जाते हैं पालकों की मांग है कि वाहन स्कूल प्रांगण के बाहर खड़े किए जाएं ।

इनका कहना है

दरवाजा टूटा है किसी को मना करो तो झगड़ा करते हैं आधार केंद्र के मान से भी बाइक वाले आते हैं।

मुकाम सिंह डुडवे, प्रधानाध्यापक आम्बुआ

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