व्यास पीठ पर बैठने वाला चौकीदार है वह सबको जगाता है ताकि धर्म की रक्षा हो सके :  पं. शैलेंद्र शास्त्री 

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

व्यक्ति को पहले स्वयं का सुधार करना चाहिए बिगड़ना सुधरना अपने हाथ में है विभीषण लंका में रहकर भी नहीं बिगड़ा और अयोध्या जैसी पवित्र नगरी में रहकर भी कैकई बिगड़ गई। सुधारने का कार्य व्यास पीठ पर बैठकर हम कर सकते हैं कम कथा वाचन चौकीदार होते हैं जो कि लोगों को जगाते रहते हैं ताकि धर्म की रक्षा हो सके।

उक्त विचार आम्बुआ में आयोजित हो रही महाशिवपुराण कथा में शंकर मंदिर प्रांगण के कथा मंच के व्यास पीठ पर विराजित कथा प्रवक्ता पंडित श्री शैलेंद्र शास्त्री जी ने कथा के पांचवें दिवस व्यक्त करते हुए बताया कि विवाह के बाद भोलेनाथ पार्वती को जब विदा करा कर लाने लगे तो पार्वती माता को समझाया गया कि सदैव पति के चरणों की सेवा करना रास्ते में पार्वती जी ने पूछा हम कहा जा रहे हैं अपना तो घर बार है नहीं तब शिवजी उन्हें लेकर काशी आ गए तथा फिर कैलाश पर जाकर निवास करने लगे तथा अनेक प्रसंगों के बीच उपवास की महिमा स्त्री (पत्नी) के धर्म आदि के विषय में विस्तार से बताया एक समय अकाल पड़ा तो भगवान शिव माता पार्वती के पास भिक्षा मांगने पहुंचे तथा उन्हें अन्नपूर्णा का स्थान दिया।

इधर तारकासुर राक्षस का आतंक बढ़ने लगा उसने ब्रह्मा जी से वरदान मांग लिया कि उसकी मृत्यु शिव पुत्र के द्वारा हो परेशान देवता शिव जी के पास गए तथा असमय शिवजी को आवाज़ लगाई तब शिवजी बाहर आए तथा उनके तेज पुंज पृथ्वी पर गिर गया जिसे अग्नि देव ने भक्षण कर लिया तब मां पार्वती ने अग्नि देव को श्राप दिया कि तुम सर्वभक्षी हो जाओ तथा देवताओं को श्राप दिया कि तुम्हारे घर कोई संतान न हो तब से देवता निःसंतान है इधर अग्नि देव ने तेज पुंज  गंगा में विसर्जित कर दिया जिससे षडानन भगवान का जन्म हुआ जिन्हें ऋषि पत्नियों  ने पाला जिन्हें  कृतिकाऐ  कहा जाता है इस कारण उनका नाम कार्तिक पड़ा। जिन्होंने तारकासुर का वध किया।

कथा में आगे माता पार्वती की सखियों के कहने पर माता पार्वती ने अपनी सुरक्षा हेतु शरीर के उपटन से एक पुतला बनाकर उसमें प्राण डालें तथा कहा कि मैं स्नान करने जा रही हूं किसी को आने मत देना भोले बाबा जब आए तब अंदर जाने लगे तो इस बालक ने रोक दिया क्रोधित शिव जी ने उसका सिर काट दिया पार्वती जी ने विलाप करते हुए पुत्र को जीवित करने को कहा तब नवजात हाथी के मस्तक को काटकर बालक को लगाया गया जिससे उनका नाम श्री गणेश पड़ा गणेश जी के प्रार्दुभाव  पर पंडाल में खुशियां मनाई गई नृत्य किया गया आज की कथा विश्राम के समय इंद्रदेव ने जमकर जल की बारिश की कथा के यजमान  गोयल परिवार बोरझाड़ तथा महिला मंडल द्वारा पंडित श्री शैलेंद्र शास्त्री जी का सम्मान किया गया एवं महाप्रसादी भी महिला मंडल की तरफ से वितरित की गई।

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