व्यास पीठ पर बैठने वाला चौकीदार है वह सबको जगाता है ताकि धर्म की रक्षा हो सके : पं. शैलेंद्र शास्त्री
मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
व्यक्ति को पहले स्वयं का सुधार करना चाहिए बिगड़ना सुधरना अपने हाथ में है विभीषण लंका में रहकर भी नहीं बिगड़ा और अयोध्या जैसी पवित्र नगरी में रहकर भी कैकई बिगड़ गई। सुधारने का कार्य व्यास पीठ पर बैठकर हम कर सकते हैं कम कथा वाचन चौकीदार होते हैं जो कि लोगों को जगाते रहते हैं ताकि धर्म की रक्षा हो सके।
