भगवान भाव के भूखे होते हैं, उन्हें अन्न धन से नहीं बल्कि श्रद्धा भाव से प्रसन्न किया जा सकता है : पं. शिवगुरु शर्मा

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

भगवान उसी को सामने बिठाता है जो उसे प्रिय लगता है, भगवान के भक्तों को मान सम्मान बहुत मिलता है, लेकिन भक्त सब न ले कर भगवान को ही मांग लेता है तो भगवान सदा के लिए उसके हो जाते हैं, कथा में करमा जाटनी की कथा जिसने भगवान श्री कृष्ण को खीचडा खिला दिया।

आगे भगवान श्री कृष्ण द्वारा गोचरा ने की कथा तथा सखा श्री दामा तथा मथुरा में दूध माखन नहीं ले जाने की कथा के बाद,बृहम्मा जी के अहंकार को मिटाया, आगे बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने यमुना तट पर महारास रचाने की लीला जिसमें गोपी बन कर भगवान शिव जी गोपी बन पहुंचे तथा रास किया तथा कृष्ण द्वारा पहंचाने जाने तथा कृष्ण जी कहने पर गोपेश्वर नाम से स्थापित हो गए।

कथा में कृष्ण तथा रुक्मणि के विवाह का प्रसंग भी सुनाया गया। कथा में आगे पं० श्री शिव गुरु शर्मा ने बताया कि रास लीला जीव और परमात्मा के मिलन की लीला है,।रास लीला में कथा पंडाल में उपस्थित कथा रशिक झूम कर गरबा नृत्य किया। कथा में आज जोबट विधायक श्रीमती सेना पटेल ने उपस्थित हो कर कथा अमृत का लाभ लिया भजनों पर जम कर नृत्य किया तथा कथा व्यास पीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया, विधायक श्रीमती सेना पटेल का कथा आयोजक परिवार द्वारा स्वागत किया गया। कथा में आज भी गुजरात, राजस्थान आदि स्थानों से सैंकड़ों भक्तों ने कथा अमृत पान किया।

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