भगवान के सामने आंख बंद कर के खड़े नहीं होना चाहिए : पं. शिवगुरू शर्मा 

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

हम भगवान का पूजन अर्चन करते हैं मंदिर में जाकर हम भगवान के सामने आंख बंद करके हाथ जोड़ कर खड़े हो जाते हैं हमें भगवान के सामने आंख बंद करके नहीं खड़ा होना चाहिए वल्कि भगवान के विग्रह को अपने मन में वसा लेना चाहिए।

उक्त विचार आम्बुआ में माहेश्वरी परिवार द्वारा आयोजित श्री मद्भागवत कथा में व्यास पीठ पर विराजमान पं० शिवगुरु शर्मा ने व्यक्त करते हुए आगे बताया कि यदि भगवान के लिए एक कदम चलते हैं तो वह दस कदम आगे आता है, जीवन में भजन का महत्व है, थोड़ा थोड़ा भजन करते रहना चाहिए,जिससे भगवान मिल जाएं गे जब भगवान मिल जाएं गे तो उसके बाद किसी बात की जरूरत नहीं होगी,लोग देवताओं को ढूंढते हैं वे देवताओं में सुख तलाशते है।

जीवन में दुःख भी रहता है, कथा में आगे कलयुग की कथा तथा राजा परीक्षित की कथा एवं भागवत कथा श्रृवण के राजा परीक्षित का उद्धार के बाद भगवान कृष्ण की कथा एवं महाभारत की कथा पांडव के पांच पुत्रों की हत्या करने वाले अस्थुथामा  का मरण आदि के बाद कृष्णा भगवान का द्वारका प्रस्थान की कथा के बाद सती चरित्र तथा योगाग्नि में शरीर भस्म करना,उमा के रूप में हिमालय राज के घर जन्म तथा शिवजी से विवाह की कथा विस्तार से कथा श्रवण कराई। कथा में आलीराजपुर दाहोद बांडीबार जोबट भाबरा खट्टाली आदि स्थानों से सैंकड़ों भक्तों ने ज्ञान गंगा में डुबकी लगाई।

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