भगवान का गुणगान किसी भी व्यवस्था में हो वह फलदाई होता है : पंडित शैलेंद्र शास्त्री

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

भगवान का नाम सदा ही मंगलकारी होता है भागवत भजन करते रहना चाहिए आपकी जिसके नाम में श्रद्धा हो उसका भजन करो जब सूत जी ने सोनकादिक ऋषियों से पूछा कि किसके नाम से भवसागर से पार हुआ जा सकता है तो उन्होंने बताया कि  शिव  का नाम सारे मनोरथ पूर्ण कर देता है।

उक्त विचार व्यास पीठ पर विराजमान पंडित शैलेंद्र शास्त्री जी ने आम्बुआ में आयोजित शिव महापुराण कथा में व्यक्त किये उन्होंने आगे कहा कि शरीर में दस इंद्रियां होती है जिसका राजा मन होता है मन मंदारी की तरह नचाता रहता है पूजा करते समय मन भटकता है मगर नोट गिनते समय मन नहीं भटकता है भगवान माया पति है वह माया को हर लेते हैं शिव सबके है वह पशुओं के भी नाथ है इस कारण पशुपतिनाथ कहलाते हैं शिव के पंचाक्षर नाम का जाप  करने से सारे काम बन जाते हैं उन्होंने चार  युगों का वर्णन किया तथा पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व बताया। भगवान कृष्ण की रासलीला में शिव जी का जाना आदि के बाद।

श्री शास्त्री जी ने गुण निधि की कथा सुनाते हुए कहा कि वह चोरी आदि करता था शिव मंदिर में प्रसाद चुराकर खाते समय अंधेरा न हो इसलिए उसने धोती फाड़ कर प्रकाश किया इधर गांव वालों ने उसे पीट-पीट कर मार दिया शिव मंदिर में उजाला करने के कारण उसे शिवजी ने कुबेर का राज्य दिया माता अहिल्याबाई जो की शिव की अनन्य भक्त थी की कथा का भी उल्लेख किया। इसके बाद एक शिकारी की कथा जिसने अनजाने में बेलपत्र चढ़ा दिए जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने श्री राम जी के दर्शन का वरदान दिया।

आगे श्री शास्त्री जी ने सती की कथा जिसमें सती बिना बुलाए अपने पिता के यहां  यज्ञ में गई तथा महादेव का अपमान नहीं सहयाने के कारण योग अग्नि में जलकर मृत्यु होने तथा बाद में हिमाचल राजा के यहां पार्वती के रूप में जन्म तथा नारद  जी के उपदेश एवं तारकासुर को शिव पुत्र से मृत्यु के वरदान के कारण शिवजी को देवताओं द्वारा विवाह के लिए राजी करना एवं शिव जी का पार्वती के साथ विवाह प्रसंग पर शिवजी की बारात में भूत प्रेत का आना तथा बारात में जमकर बाराती नाचे। शिवजी के विवाह का मनोहारी प्रसंग पर आज कथा विश्राम हुई आज के यजमान रविंद्र चौहान तथा प्रसादी जितेंद्र गोयल, हर्ष खंडेलवाल, बंटी चौहान, झुम्मकलाल पडियार की तरफ से वितरित की गई।

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