भगवान का अवतार धर्म एवं भक्तों के कल्याण के लिए होता है : पंडित शैलेंद्र शास्त्री 

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

भगवान किसी  को मारते नहीं वह खोटे काम कर कर के स्वयं मर जाता है भगवान भक्तों पर कृपा करते हैं भगवान भोलेनाथ की अपने सरल स्वभाव के कारण हमेशा भक्तों पर कृपा करते रहते हैं।

         उक्त विचार आम्बुआ में चल रही श्री महाशिवपुराण कथा के सातवें तथा अंतिम दिवस व्यास पीठ पर विराजमान ओंकारेश्वर से पधारे पंडित श्री शैलेंद्र शास्त्री जी ने व्यक्त करते हुए भोलेनाथ के विभिन्न अवतारों में से आज दुर्वासा ऋषि अवतार की कथा सुनाते हुए बताएं की माता अनसूया ने तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश से वर मांगा था कि हमारे घर कोई संतान नहीं है हमें संतान का वरदान दे तब तीनों देवताओं के अंश से क्रमशः श्री विष्णु जी यानी नारायण भगवान के अंश स्वरूप भगवान दत्तात्रेय  जिन्होंने 24 गुरु बने श्री ब्रह्मा जी के अंश से चंद्रमा तथा भगवान भोलेनाथ के अंश(आशीर्वाद) से दुर्वासा ऋषि का जन्म हुआ इनमें दुर्वासा ऋषि क्रोधित होने वाले ऋषि के रूप में प्रख्यात हुए जिनका वर्णन महाभारत में भी आता है।

           एक बार दुर्वासा ऋषि अपने 100 शिष्यों के साथ द्वारकापुरी गए जहां श्री कृष्ण ने उन्हें राजमहल में चलने का आग्रह किया तब उन्होंने रथ लाने को कहा तथा रथ में घोड़े की जगह स्वयं द्वारकाधीश तथा रुक्मणी को रथ खींचकर ले जाने को कहा जब दुर्वासा जी महल में पहुंचे तो उन्होंने खीर का प्रसाद ग्रहण करने की इच्छा व्यक्त की खीर जब लाई गई तो उन्होंने वह खीर कृष्ण भगवान तथा रुक्मणी के शरीर पर लगाने को कहा श्री कृष्ण ने अपने पैर के तलवों में खीर नहीं लगाई जिस कारण अंतिम समय में उनके पांव में तीर लगा।

        कथा में आगे 12 ज्योतिर्लिंगों की विस्तार से कथा सुनाई आज कथा का अंतिम दिन होने से व्यास पीठ का महाशिवपुराण कथा समिति द्वारा तथा जजमान एवं भक्तों द्वारा सम्मान किया गया शास्त्री सेवा समिति ओंकारेश्वर की ओर से बेलपत्र का वृक्ष तथा रुद्राक्ष का निशुल्क  वितरण किया आरती पश्चात कथा पोथी का भव्य जुलूस गिरते पानी में निकाल कर देवेंद्र (बंटी) चौहान के निवास तक ले जाया गया जहां पर महा प्रसादी का वितरण किया गया।

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