मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
भगवान किसी को मारते नहीं वह खोटे काम कर कर के स्वयं मर जाता है भगवान भक्तों पर कृपा करते हैं भगवान भोलेनाथ की अपने सरल स्वभाव के कारण हमेशा भक्तों पर कृपा करते रहते हैं।

उक्त विचार आम्बुआ में चल रही श्री महाशिवपुराण कथा के सातवें तथा अंतिम दिवस व्यास पीठ पर विराजमान ओंकारेश्वर से पधारे पंडित श्री शैलेंद्र शास्त्री जी ने व्यक्त करते हुए भोलेनाथ के विभिन्न अवतारों में से आज दुर्वासा ऋषि अवतार की कथा सुनाते हुए बताएं की माता अनसूया ने तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश से वर मांगा था कि हमारे घर कोई संतान नहीं है हमें संतान का वरदान दे तब तीनों देवताओं के अंश से क्रमशः श्री विष्णु जी यानी नारायण भगवान के अंश स्वरूप भगवान दत्तात्रेय जिन्होंने 24 गुरु बने श्री ब्रह्मा जी के अंश से चंद्रमा तथा भगवान भोलेनाथ के अंश(आशीर्वाद) से दुर्वासा ऋषि का जन्म हुआ इनमें दुर्वासा ऋषि क्रोधित होने वाले ऋषि के रूप में प्रख्यात हुए जिनका वर्णन महाभारत में भी आता है।

 
						 
			