फिर बिगड़ा मौसम किसानों की जान हलक में, फसलें काटने में जुटे

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

इस वर्ष मौसम में उतार चढ़ाव कुछ अधिक ही होते नजर आ रहे हैं कभी सर्दी तो कभी गर्मी और अब आसान पर छा रहे बादल सब को डरा रहे हैं, विशेष कर कृषक अधिक परेशान होते देखे जा सकते हैं।

वर्ष 2025 में मौसमी बदलाव बार बार देखा और मेहसूस किया जा रहा है,कुछ दिनों पूर्व क्षेत्र में कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी और अचानक ही तेज गर्मी ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी जैसे मई या जून में होती है दिन में लू चलने से घरों से बाहर निकल पा ना मुश्किल हो ने लगा है यह स्थिति दो चार दिनों रही लोग अनुमान लगा रहे थे कि आगामी दिनों में गर्मी अपना भयावह रूप दिखाए गी, कि बीती रात से मौसम ने करवट बदली और आसमान पर काले बादलों ने डेरा डाल दिया साथ ही हवाऐं चलने से गर्मी से कुछ राहत मिली मगर आगामी दिनों में मावठे की आशंका के चलते क्रृषक वर्ग चिंतित नजर आ रहा है क्योंकि खेतों में गेहूं सरसों चना आदि की फसलें पक कर तैयार खड़ी हैं ऐसे में यदि बारिश हो जाती है तो कृषकों को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है इसी डर के कारण कृषक स्वयं परिवार तथा मजदूरों के साथ दिन में ही नहीं अपितु रात में चांद की रोशनी में भी फसलें काटने में जुटे हैं, ताकि ‌ उन्हें सुरक्षित खलिहानों तक पहुंचा दिया जा सके।

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