पंचमी त्यौहार के मद्देनजर जमकर बिके मुर्गे बकरे

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मयंक विश्वकर्मा@आम्बुआ

क्षेत्र में इन दिनों रंगों का त्योहार होली की धूम हे जो कि सप्तमी तक जारी रहेगी। त्यौहार में जहां शहरी क्षेत्र में लगभग हर परिवार में अनेक व्यंजन बनाए जाते हैं वहीं ग्रामीण आदिवासी परिवारों में मुर्गे तथा बकरे की बलि देने की प्रथा होने से इनकी बिक्री हाट बाजारों में जमकर हो रही है।

क्षेत्र का वनवासी अंचल में होली से पूर्व भगोरिया तथा होलिका दहन के उपरांत पंचमी मनाए जाने का विशेष कार्यक्रम होता है( जबकि शहरी तथा कस्बा क्षेत्र में  शीतला सप्तमी मनाई जाती है। पंचमी पर आदिवासी ग्रामीण (भगत समाज को छोड़ कर) बकरे तथा मुर्गों की भी बलि देते हैं कई स्थानों पर रायबुदलिया (महिला पुरुष) का स्वाग रचने वाले की टोली गोट मांगने निकलते हैं तथा एकत्र पैसे से वह बकरा आदि खरीद कर सामूहिक भोज का आनंद उठाते हैं। इन्हीं त्यौहारों के मद्देनजर आज आम्बुआ में साप्ताहिक हाट बाजार था जो कि त्यौहार होली के बाद होने के कारण उजाडिया हाट होने के बावजूद यहां सैकड़ों बकरे तथा हजारों  मुर्गे की रिकॉर्ड बिक्री हुई। पशु बाजार में इतनी भीड़ रही जैसे कि कोरोना काल में कर्फ्यू में छूट मिलने पर बाजारों में भीड़ उमड़ पड़ी थी। आज भी यहां भारी भीड़ देखने को मिलीजबकि बाजार के अन्य क्षेत्र में बहुत कम भीड़ रही।

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