ठंड-गर्मी का मौसम निकला, अब कीचड़ में बैठेंगे सब्जी विक्रेता, सड़क किनारे बैठकर दुर्घटना को दे रहे न्योता
मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
ग्रामीण सब्जी विक्रेता जो की खेतों में कड़ी मेहनत कर शहर वासियों को ताजी तथा रासायनिक उर्वरक दवाईयो आदि से अछुत रखकर पौष्टिक स्वादिष्ट सब्जियां प्रतिदिन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से सिर पर या उपलब्ध साधनों के माध्यम से शहरी कस्बाई क्षेत्रों में आते तो है मगर उन्हें यहां ना तो बैठक की उचित व्यवस्था मिलती है और ना ही सुरक्षा मिलती है यह स्थिति संपूर्ण जिले के साथ-साथ आम्बुआ में भी है जहां बाहर मास मौसम की मार सहते हुए ग्रामीण सब्जी बेचते हैं कुछ वर्षों पूर्व यहां पंचायत द्वारा पुराने बस स्टैंड के पास सब्जी बिक्री केंद्र लाखों खर्च कर बनाया गया था जो कि आज खंडहर और कबाड़ खाना बना हुआ है सड़क किनारे बैठने वाले सब्जी विक्रेताओं की जान हमेशा जोखिम बनी रहती है इन्हें सुरक्षित और व्यवस्थित स्थान की जरूरत है।

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