जब भगवान हमारे हृदय में उतरता है तो सारे बंधन टूट जाते हैं : पं. शिवगुरु शर्मा

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में कंस के कारागार में माता देवकी के गर्भ से हुआ उसके साथ ही देवकी तथा वसुदेव जी के हाथ पांव लगी बेड़ियां अपने आप खुल गई, यानि कि जब भगवान हमारे ह्रदय में उतरता है तो सारे बंधन टूट जाते हैं।

उक्त वृतांत आम्बुआ में माहेश्वरी परिवार द्वारा आयोजित श्री मद्भागवत कथा में व्यास पीठ से सुनाते हुए पं० श्री शिव गुरु शर्मा ने बताया कि भगवान भक्त के आधीन रहते हैं यही कारण है कि वे पृथ्वी पर भक्तों तथा देवता गोमाता की रक्षा हेतु अवतरित होते हैं, कथा में आगे बताया कि भगवान के कहने पर वासुदेव जी उन्हें गोकुल ले गए तथा वहां से यशोदा जी की कन्या को मथुरा ले आए, कन्या यानि कि माया और जब माया आती है तो बेड़ियां बंध जाती है , यहां भी यही हुआ देवकी वसुदेव को पुनः बेड़ियां लग गई कन्या का रोना सुनकर  पहरेदारों ने कंस को बता दिया तब कंस वहां आया तथा कन्या को मारना चाहा वह आकाश में चली गई तथा आकाश वाणी की कि तुझे मारने वाला पैदा हो गया है।कंस घबरा गया।

       तब कंस ने पूतना राक्षसी को भेजा जिसका उद्धार भगवान श्री कृष्ण ने उसके प्राण पखेरू हर कर किया, उसके बाद सकटा सुर का उद्धार किया। आगे भगवान श्री कृष्ण का नाम करण किया गया, आगे श्री कृष्ण की मिट्टी खाने की लीला में माता यशोदा को बृहमांड का दर्शन कराया , आगे कथा में यशोदा माता ने भगवान श्री कृष्ण का श्रंगार किया जो कि बहुत मन मोहक लग रहा था।

कृष्ण ने माता को कहा कि मैं अब बड़ा हो गया हूं , मैं गाय चराने जाऊंगा, कथा में आगे भगवान श्री कृष्ण द्वारा इंद्र की पूजा बंद करा कर गिरि राज पर्वत यानि कि गोवर्धन पूजा कराई,जिससे रूष्ट हो कर इंद्र ने अतिवृष्टि करा दी तब गोकुल में सब परेशान हो गए तब कृष्ण ने गोवर्धन को अपनी उंगली पर उठा कर गोकुल वासियों को बचाया तथा इंद्र का मान मर्दन किया तब इंद्र ने क्षमा मांगी। आज कथा में गोवर्धन नाथ को छप्पन व्यंजनों का भोग लगाया गिरधारी भगवान की मन मोहक झांकी के दर्शन सभी ने किए  , तदोपरांत महाआरती की गई, कथा में आज सुदूर वन परिक्षेत्र कट्ठीवाड़ा, आज़ाद नगर खट्टाली, दाहोद बांडीबार रणधींपुर बड़ौदा छोटीसादड़ी नीमच आलीराजपुर नानपुर जोबट आदि स्थानों से सैंकड़ों भक्तों ने कथा अमृत पान किया।

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