ग्रामीण क्षेत्रों में अब मनाई जा रही है दीपावली, गौवशो में बीमारी के कारण समय बढ़ा दिया गया था

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

आम्बुआ ही नहीं अपितु आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में इस वर्ष दीपोत्सव का त्यौहार अपनी नियत तिथि पर नहीं मनाया गया जिस कारण किराना, पशुओं की श्रृंगार सामग्री तथा दीपावली का विशेष आकर्षण आतिशबाजी की बिक्री नहीं हो सकी थी। त्यौहार नहीं मनाए जाने का कारण ग्रामीण बताते हैं कि यह दीपावली त्योहार गोवंश तथा पशुधन के लिए मनाते हैं मगर इस बार लम्पी बीमारी के कारण गोवंश बीमार होने तथा उनकी मौत के कारण त्यौहार नहीं मनाया, अब बीमारी नियंत्रण में है तो त्यौहार मना रहे हैं तथा जमकर आतिशबाजी भी कर रहे हैं।

          हमारा संवादाता को ग्राम पंचायत आम्बुआ के सरपंच श्री रमेश रावत, अमरसिंह डुडवे, (मोटाउमर) नारायण सिंह चौहान (अडवाड़ा) कमलसिंह कनेश (भोरदु) राजू पटेल (वड़ी) सुमित कटारिया (बोरझाड़) सरपू बघेल (चिचानिया फलिया) प्रेमसिंह कनेश (टेमाची) आदि ने बताया कि क्षेत्र में गोवंश में लम्पी बीमारी के कारण उनकी मृत्यु होने तथा बीमारी की अधिकता के कारण ग्रामीणों ने निर्णय लिया था कि दीपावली का त्यौहार अभी नहीं बनाएंगे। स्मरण रहे कि ग्रामीण क्षेत्रों में सभी त्योहार हंसी-खुशी तथा सामुदायिक भावना से मनाऐ जाते हैं यदि गांव में माता (चेचक) का प्रकोप हो किसी को पागल कुत्ते ने काट लिया हो कोई भयंकर दुर्घटना में जान माल की हानि हो आदि कई कारणों के चलते सामूहिक निर्णय कर त्यौहार को कुछ समय के लिए टाल दिया जाता है फिर पटेल, तड़वी, पुजारा आदि के द्वारा सामूहिक रूप से निर्णय लिया जाकर आगामी समय में त्योहार मनाया जाता है वह भी अलग-अलग गांवों में अपनी सुविधा के अनुसार निर्धारित की गई तिथि, दिन पर मनाया जाता है।

इस वर्ष लम्पी बीमारी के कारण स्थगित किया गया दीपावली का त्यौहार अब मनाया जा रहा है जो कि विभिन्न गांवों में अलग-अलग दिन मनाया जा रहा है। त्योहारों के लिए ग्रामीण त्योहार संबंधी सामग्री के साथ-साथ आतिशबाजी भी खरीद रहे हैं जिस कारण दीपावली पर बच गई आतिशबाजी अब मनमाने भाव पर बिकने से पटाखा व्यापारियों की चांदी हो रही है एक माह पूर्व आतिशबाजी के लिए जारी लाइसेंस (अनुमति )की अवधि समाप्त होने के बावजूद बाजार में खुलेआम बगैर किसी सुरक्षा व्यवस्था के हाट बाजार तथा अन्य दिनों में सड़क किनारे एवं किराना दुकानों आदि पर बेचते देखे जा सकते हैं प्रशासन की मिलीभगत के कारण इन पर विस्फोटक अधिनियम के तहत कोई भी कार्यवाही नहीं होने से इनके हौसले बुलंद है कई व्यापारियों का कहना है कि क्या होगा हमारे ऊपर तक सेटिंग है यह ऊपर तक की सेटिंग क्या होती है समझ में आ सकती है कि कार्यवाही नहीं होना शायद इसी को ऊपरी सेटिंग कहते होंगे बाजार में बिकते पटाखे, बाजार तथा आसपास फूटते पटाखों की गूंज लगता है जवाबदारों को बहरा बनाए हुए हैं परंतु आंखों से धंधा करते देखते हुए अनदेखा करना कहां तक उचित है? यह विचारणीय है प्रशासन किसी अनहोनी का इंतजार कर रहा है इसके बाद शायद कार्रवाई होगी या फिर ऐसा ही चलता रहेगा।

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