मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
बढती आबादी और दिन प्रतिदिन बढ़ते धंधों के कारण कस्बे की सड़कों पर भी प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है और पड़ भी रहा है,आज स्थिति यह है कि पुराने पत्थर कारखाने से आगे जाने पर संपूर्ण बाजार के रिंग रोड पर आने जाने वाले दोपहिया तथा चार पहिया वाहन रोज फंसते देखे जा सकते हैं, जिसके लिए प्रशासन स्तर पर कोई भी सकारात्मक पहल होती नजर नहीं आ रही है, और जनता इस समस्या से जूझ ने को मजबूर है।

आम्बुआ कस्बे की स्थिति पिछले 20- 25 वर्ष पूर्व जो थी वह आज बदल चुकी है ,तब यहां की आबादी कम रही थी, मगर आज क्षेत्र की आबादी के साथ साथ व्यावसायिक विस्तार हुआ है, व्यावसायिक विस्तार कोरोना के बाद से अधिक हुआ है, अनेक लोगों के धंधे बंद हुए तो अनेक लोगों की निजी क्षेत्र के रोजगार समाप्त हो गये, जिसके बदले नवीन रोजगारों का सृजन हुआ अधिक से अधिक लोगों ने दुकानों की बजाय सड़क किनारे व्यावसाय प्रारंभ किया , इसी के साथ साथ अन्य जिनके स्थाई प्रतिष्ठान थे भी सड़क पर धंधा करने हेतु दुकानें लगाने लगे ,जिस कारण सड़क पर दिन प्रतिदिन प्रतिस्पर्धा के कारण सड़क पर निकलना मुश्किल होने लगा।
