अवैध रेत उत्खनन करने वाले खुदाई कर नदियों के किनारों को पहुंचा रहे नुकसान

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

नदियां रेत का भंडार समेटे हुए होती है मगर जब अधिक दोहन होने लगे तो नदियों में  रेत कहां मिलेगी? रेत का व्यापार करने वाले अब नदियों के किनारे खोदकर मिट्टी में दबी रेत निकालने के प्रयास में नदी के किनारों को हानि पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।

वर्तमान में भवन निर्माण युद्धस्तर पर किए जा रहे हैं। कहीं निजी तो कही ठेकेदारों द्वारा तो कहीं प्रधानमंत्री आवास योजना आदि के भवन निर्मित हो रहे है। शासन प्रशासन द्वारा क्षेत्र में रेत खदानें नीलाम नहीं की जाने के कारण लोग चोरी चुपके रेत परिवहन कर रहे हैं। कई ग्रामीण क्षेत्रों में नदी नालों में अब रेत न होकर कंकर पत्थर नजर आ रहे हैं। व्यवसाई अब  नदी के किनारे जमा मिट्टी को  खोदकर उसके नीचे दबी रेत निकाल कर ले जा रहे जिसके कारण भविष्य में बरसात के समय नदी में बाढ़ की स्थिति होने पर ये किनारे धंस कर नदी को चौड़ा तो करेंगे ही साथ ही नदी किनारे स्थित उपजाऊ भूमि में भी कटाव कर भूमि को हानि पहुंचाएंगे। बाढ़ का पानी इस कटाव के कारण खेतों में घुसकर फसल आदि के साथ-साथ उपजाऊ मिट्टी को भी हानि पहुंचाएगा। इधर प्रशासन सड़क पर दौड़ रहे कुछ रेत परिवहन करने वाले वाहनों को तो पकड़ रहा है। मगर वह कहां से भर कर ला रहे हैं यह नहीं देखा जा रहा है, प्रशासन यह नहीं देख रहा है कि अवैध उत्खनन से नदियों को कितना नुकसान हो रहा है। पर्यावरण एवं जल जीवो की कितनी हानि हो रही है। नदियों के किनारों को सुरक्षित रखने का प्रयास राजस्व एवं खनिज विभाग को करना बहुत जरूरी माना जा रहा है ताकि नदियां सुरक्षित रहकर मानव जीवन को संवार सकें।

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