आदिवासी समाज में विवाह समारोह की धूम से बाजार में कपड़े, बर्तन और चांदी के गहनों की जमकर हुई खरीदी

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 खट्टाली से विजय मालवी की रिपोर्ट

आदिवासी समाज में विवाह समारोह की धूम से बाजार में रौनक बढ़ गई है। कपड़े, बर्तन और चांदी के गहनों की जमकर खरीदी हो रही है। लोक गीत गाते हुए ग्रामीणों की टोलियों ने बाजार को गुलजार कर दिया है। कपड़े, ज्वेलरी, बर्तन के साथ फर्नीचर व इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ लगी है। महंगाई के बावजूद ग्रामीण शादी-ब्याह की खरीदी को लेकर कोई समझौता नहीं कर रहे हैं। करीब 15 दिनों से आदिवासी समाज में विवाह समारोह चल रहे हैं, लेकिन आखातीज नजदीक आते ही विवाहों में बढ़ोतरी हो गई है। यह सिलसिला अब अक्षय तृतीया (आखातीज) के बाद तक चलेगा। शादी-ब्याह के लिए ग्रामीण अपनी परंपरा का अनुसरण करते हुए समूह के रूप में खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं। इससे आम दिनों में भी हाट बाजार सा अहसास हो रहा है। चांदी के गहनों पर जोर, सोना भी खरीद रहे इस तरह समूह के रूप में गीत गाते हुए खरीदी करने पहुंच रहे हैं आदिवासी। पारंपरिक वस्त्रों के साथ पेंट-शर्ट और साड़ियों की मांग शादी-ब्याह के लिए इस बार पारंपरिक कपड़ों के साथ पेंट-शर्ट और साड़ियों की भी जमकर खरीदी हो रही है। खरीदारी के लिए आने वाले दूल्हा-दुल्हन भी अब आधुनिक वेशभूषा में ही नजर आ रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक आइटम की मांग बरकरार गहनें और कपड़ों के बाद सबसे अधिक कारोबार बर्तनों का हो रहा है। स्टील के बर्तनों के साथ शगुन बतौर तांबे व पीतल के बर्तन भी लिए जा रहे हैं। शहर के सभी बर्तन विक्रेताओं के यहां खरीदी के लिए ग्रामीणों का हुजूम उमड़ रहा है। शीतल पेय पदार्थ, कुल्फी, आइसक्रीम ,फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक आइटम की भी मांग बनी हुई है। सराफा व्यापारियों के अनुसार अमूमन ग्रामीण चांदी के गहने ही खरीदते हैं। वक्त के साथ अब कुछ बदलाव आया है। शादी-ब्याह में शगुन के बतौर सोने के गहने भी लिए जा रहे हैं। सोने-चांदी के आसमान छूते दामों के बावजूद इनका आकर्षण कम नहीं हुआ है। सीजन में कारोबार ठीकठाक होने की उम्मीद है।

चित्र (1) एक जैसी वेशभूषा पहनकर बाजारों में खरीदारी करने आयी आदिवासी लड़कियां

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