अव्यवस्था के पर्याय बने निजी शिक्षण संस्थान मूलभूत सुविधाओं का अभाव प्रशासन बेखबर

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

आम्बुआ कस्बे के पालको को भी अपने बच्चों के लिए अच्छे स्कूलों की तलाश रही है स्थानीय स्तर पर ठीक व्यवस्था नहीं होने के कारण अलीराजपुर ,जोबट ,आजाद नगर तथा अन्य शहरों के छात्रावासों तथा किराए के मकानों में रखकर शिक्षित करा रहे हैं । मगर यह हर एक पालक नहीं कर सकता मजबूरन उन्हें आम्बुआ में कथित अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाना पड़ रहा है । मगर यहां के अधिकांश निजी शिक्षण संस्था की हालत बद से बदतर है जिनमें सुविधाए कम अव्यवस्थाओं का अंबार लगा है इधर प्रशासन इससे बेखबर होकर ऑफिसों में बैठकर फाइलें देख रहे हैं कोई जांच इन निजी शिक्षण संस्थाओं की होती है यह किसी को पता नहीं ना ही पालकों को कोई जानकारी दी जाती है।

शिक्षा विभाग की मान्यता संबंधी शर्तों का खुला उल्लंघन
वर्तमान में शिक्षण संस्थाओ की मान्यता के लिए ऑनलाइन फाइल भेजने की व्यवस्था की गई है। विभाग द्वारा मांगी गई कई जानकारियां फर्जी तरीके से भरी जाती है यदि मान्यता देने के पूर्व जांच की जाए तो कई कमियां दिखाई दे सकती है।

स्वयं के भवनों का अभाव

शासन की प्रथम सर्त निजी शिक्षण संस्थाओं के पास स्वयं के भवन होना जरूरी है कुछ नई संस्थाओं को कुछ वर्षों की छूट दी जाती है। आम्बुआ में संचालित अधिकांश निजी शिक्षण संस्थाएं 5 से 20 वर्ष तक पुरानी है मगर आज तक उनके पास स्वयं के भवन नहीं है किराए के भवनों तथा कुछ घरेलू रहवासी भवनों में संचालित है। कमरों की संख्या तथा विद्यार्थियों की संख्या के अनुपात में नहीं है। कमरों की स्थिति दयनीय है वर्षात का टपकता पानी संस्थाओं के आसपास वर्षा काल में कीचड़ कई संस्थाओं के अंदर बाहर देखा जा सकता है ।
प्रधानमंत्री की स्वच्छता की अपील आम्बुआ की कई निजी शिक्षण संस्थाओं मे बेअसर दिखाई दे रहा है। अंदर बाहर गंदगी का आलम दिखाई दे गया इसी के साथ प्रमुख समस्या शोचालयो एवं पेशाबघरों की भी कई संस्थाओं की है या तो यह सुविधा है ही नहीं या जिस कारण छोटे बच्चे खुले में शौच करते दिखे जाएंगे जिनमें है वहां लड़के लड़कियों के लिए प्रथक प्रथक नहीं है सभी को एक ही शौचालय का उपयोग करना पड़ता है शिक्षण संस्थाओं में सुरक्षा संबंधी उपकरणों का अभाव है । साथ ही स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्था भी नहीं अधिकांश शिक्षण संस्थाओं में खेल मैदानों का अभाव है जो की अनिवार्य शर्त का उल्लंघन है कई शिक्षण संस्थाओं में फर्नीचर का अभाव होने से बच्चे जमीन पर या टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ते हैं कई शिक्षण संस्थाओं में अध्यापन सामग्री की कमी देखी जा सकती है ।
अंग्रेजी माध्यम हिंदी में पढ़ाई
इन दिनो अंग्रेजी माध्यम का चलन चल निकला है कोई भी पालक हिंदी माध्यम के स्कूलों में बच्चों को नहीं पढ़ाना चाहता है इसी भेड़ चाल के कारण कई निजी शिक्षण संस्थान का हिंदी ज्ञानी पूरी तरह उज्जवल नहीं है अंग्रेजी माध्यम के बोर्ड बैनर लगाकर पालकों को ठगने में जुटे हैं इनके यहां अध कचरे ज्ञान के कम पढ़े लिखे तथा हिंदी माध्यम की डिग्री धारक शिक्षक जिन्हे यदि हिंदी की परीक्षा दिलाई जाए तो पता चले कि उनका जितना ज्ञान है इस भाषा में है फिर वे अंग्रेजी केसे पढ़ा रहे होंगे यह जांच का विषय हो सकता है कुल मिलाकर अधिकांश निजी शिक्षण संस्थाए अव्यवस्थाओं का पर्याय बन चुके हैं।

*स्कूलों की फाइलों को दिखावाया जाएगा नियमानुसार स्कूलों का संचालन नहीं होने की स्थिति में संबंधित के खिलाफ कार्यवाही करेंगे। -केसी शर्मा, डीईओ अलीराजपुर*

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