अलीराजपुर की राजनीति मे हिंसक उबाल , सिर्फ राजनीति है या ओर कुछ

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अलीराजपुर लाइव डेस्क ।

विगत 24 नवंबर को रतलाम – झाबुआ लोकसभा उपचुनाव के नतीजे आते ही अलीराजपुर जिले खासकर अलीराजपुर विधानसभा की राजनीति गरमा गई है ओर इस गरमाई राजनीति का केंद्र बना है अलीराजपुर शहर ओर इसमे पार्टी बन रही है पुलिस । हम चुनिंदा उदाहरणों के जरिए इसे गरमाई राजनीति के मायने समझने की कोशिश इसमे समीक्षा मे करेंगे ।

केस नंबर -1 – 24 नवंबर कांग्रेस विजय जुलूस

लोकसभा उपचुनाव का परिणाम आते ही उत्साही कांग्रेसजनों ने विजय जुलूस निकाला जो निकलना ही था लेकिन उस जुलूस के उत्साह मे जो भाषण हुए वह भी विवादास्पद माने गये ओर महेश पटेल के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 143 के तहत मामला दर्ज करवाया ।

केस नं -2 – आभार रैली —

शनिवार को कांतिलाल भूरिया की आभार रैली अलीराजपुर मे आयोजित हुई जैसे ही कांतिलाल भूरिया बोलने खडे हुऐ उसी समय मंच के पीछे खडे तीन वाहनों के कांच फोड़ दिये गये । उसके बाद युवा कांग्रेसीयो की गुस्साई भीड ने करीब 30 मिनट तक सड़क पर हंगामा किया । ओर उसके बाद अलीराजपुर कोतवाली पर भुवानसिंह , इंदरसिंह आदि पर मुकदमा कांग्रेसीयो की ओर से दर्ज करवाया गया । सभी जानते है कि भुवानसिंह ओर इंदरसिंह अलीराजपुर के बीजेपी विधायक नागरसिंह चौहान के पिता एंव भाई है ।

अब समझे इस मुकदमे बाजी एंव हिंसा के मायने क्या है ।

दरअसल अलीराजपुर विधानसभा की राजनीति विगत कई सालो से ओल्ड बिहार या पूर्वी यूपी के पेट॔न पर चलती रही है बाहुबली शख्सीयत के दम पर राजनीति होती रही है । ओर बीजेपी ओर कांग्रेस दोनो ही अपने समर्थकों को अपने इसी ईमेज के जरिए आशान्वित करते है । ओर इसी ईमेज को बनाने के लिए भाषणबाजी भी इसी तरह से की जाती है ताकी आक्रमक होने का संदेश दिया जा सके ओर अपने कार्यकर्ताओं का उत्साह बढाया जा सके । ओर इसी लिऐ आने वाले दिनो मे इसी तरह के घटनाक्रम  आगे भी देखने – सुनने को मिल सकते है ओर एक दूसरे के नामो पर एफआईआर ओर भी दज॔ हो सकती है ।

लेकिन अभी समय है जल्दबाजी दिखाई दे रही है

अगले विधानसभा चुनाव 2018 मे है ओर सितंबर 2018 मे आचार संहिता लगेगी यानी करीब 1000 दिन बाकी है ओर इस तरह का वातावरण  ठीक नही है इसे अति उत्साह कहा जा सकता है कांग्रेस के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष  महेश पटेल के भाषण अब विवादास्पद हो चले है माइक पकडते ही चोरी या पांचवी लाइन आते आते महेश पटेल पुलिस पर अटैक शुरु कर देते है ओर सातवी – आठवी लाइन मे तीर कमान – फालिया आ जाते है जबकि इसकी आवश्यकता फिलहाल नही है ओर शायद महेश पटेल ऐसा कर खुद का नुकसान कर रहे है ।

भूरिया से सीखे राजनीति —

जिस तरह से बिहार & पूर्वी यूपी मे बाहुबल की राजनीति अब खत्म हो गयी है उसी तरह के दौर की ओर धीरे धीरे अलीराजपुर भी बढ रहा है कांतिलाल भूरिया ओर स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया से स्थानीय नेताओ को सीखने के जरुरत है दरअसल दोनो भूरियाओं ने मुद्दो की राजनीति की है ओर इसी राजनीति ने दोनो को राष्टीय शख्सियत बनाया है ।

 

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