अलग से भील प्रदेश की मांग को लेकर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चो ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन 

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आलीराजपुर। अलग से भील प्रदेश की मांग को लेकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र आलीराजपुर मे भील सेना संगठन ओर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओ ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर तहसीलदार को राष्ट्र पति ओर प्रधान मंत्री के नाम एक ज्ञापन सौपा ओर अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग की। 

क्या है ज्ञापन मे 

“भारतीय उपमहाद्वीप में 20 लाख साल पहले से रह रहे आखेटक-खाध्य संग्राहक मानव समूह के वंशज आदिवासी है।” पुरातात्विक स्थल विन्ध्याचल-सातपुडा अरावली पर्वतमाला में क्रमशः बेलन नदी घांटी, भीमबेटका एवं साबरमती नदी बेसिन में मिले है। भारत की इस मूल संस्कृति मानव समूह के संरक्षण के लिए ‘भीलप्रदेश राज्य’ गठन आवश्यक है। इतिहासकाल में अप्रवासी (Immigrants) यहूदी, यूनानी, ईरानी, मुस्लिम, ईसाई धर्मी लोगों की बसावट हुई। इस कारण से भारत की मूल संस्कृति, सभ्यता, बोली, धर्म के अस्तित्व की सुरक्षार्थ भील सांस्कृतिक भाषाई ऐतिहासिक क्षेत्र को जोड़कर ‘भीलप्रदेश राज्य’ गठन होना चाहिए था, मगर आजादी के बाद नही हुआ और चार राज्यों में पूरा इलाका बांट दिया गया। राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश की विधानसभाओं में ‘भीलप्रदेश राज्य’ का प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भिजवाया जाए वही विश्व आदिवासी दिवस 09 अगस्त पर “राष्ट्रीय अवकाश” घोषित किया जाए आदिवासीयों की ‘आराध्य कुळमताई पावागढ़ काली मताई थानक पहाडी’ से केवल 7 किलोमीटर दूर मुख्य नर्मदा नहर कच्छ मारवाड़ की ओर जा 2/7 है। मुख्य नर्मदा नहर से पानी लिफ्ट कर पावागढ़ पहाडी पर चढा दिया जाए तो ग्रेविटी से पानी पंचमहाल, दाहोद, थांदला, पेटलावद (झाबुआ). सेलाणा, रावटी, शिवगढ़, बाजना (रतलाम), कुशलगढ (बासवाडा), महीसागर, डूंगरपुर, अरवल्ली जिले में पेयजल हेतु उपलब्ध हो सकता है। हमारी मांग है कि ‘नर्मदा पावागढ़ भील प्रदेश पेयजल परियोजना’ की DPR बनाकर वित्तीय स्वीकृति जारी करावे और राष्ट्रीय पेयजल परियोजना की मान्यता दी जाए।अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट के तहत् हरेक पंचायत की एक पहाड़ी को देशी औषधीय पौधे लगाकर हर्बल पार्क के रूप में विकसित किया जाए। वृक्षविहिन सातपुडा, सहयाद्री, विन्ध्याचल पर्वतमाला के लिए भी वृक्षारोपण योजना बने राजस्थान-गुजरात-महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश (भीलप्रदेश) की नदियों के पानी में ‘भील आदिवासियों के लिए कानून बनाकर जल आरक्षण का प्रावधान’ बनाकर अविलम्ब अमलीकरण किया जाए राजस्थान-गुजरात- महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश (भीलप्रदेश) अनुसूचित क्षेत्रों (Scheduled Area) में संविधान के अनुच्छेद 244 (1) की मूल भावना अनुरूप प्रशासन में आरक्षण लागू किया जाए सुप्रिम कोर्ट के फैसले अनुसार राजस्थान में आरक्षण उपवर्गीकरण अनुसूचित क्षेत्र, रेगिस्तान क्षेत्र (DTSA), बनास चंबल क्षेत्र, मत्स्य क्षेत्र चार पृथक क्षेत्रानुसार लागू किया जाए। सभी आदिवासियों को Aborigines or Indigenous घोषित कर भारत की खनिज संपदा का 25% शेयर होल्डर बनाया जाए।

 DNA आधारित जनगणना आरभ हो एवं DNA आधारित पहचान पत्र जारी हो।राजस्थान-गुजरात- महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश (भीलप्रदेश) में सरकारी आबकारी विभाग संचालित अग्रेजी शराब दुकानों से शराब व्यापार प्रतिबंधित हो और ‘आदिवासी इलाका दारू विहिन इलाका’ घोषित हो।आदिवासी इलाकों (अनुसूचित क्षेत्र पांचवी अनुसूची टेरीटरी) में पुलिस प्रशासन में सामंतवादी लोगों की ही भर्ती की जा रही है. जो रजवाड़ों की स्थापना से आदिवासियों के दमन में लगे है, हमारी मांग है कि ‘पुलिस थाना क्षेत्र की आदिवासी जनसंख्या के अनुपात में आदिवासी पुलिस कर्मीयों को अनिवार्ययतः प्रतिनिधित्व दिया जाये।’माही बांध, जाखम बांध का पानी अरावली पार रेगिस्तानी इलाको में ले जाने की योजना रद्द कर स्थानीय आदिवासियों की पानी की जरूरतें पहले पूरी करेराजस्थान-गुजरात-महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश के आदिवासी अनुसूचित जिलों उपखण्डों के मुख्यालयों पर आदिवासी महापुरूषों की मुर्तियां स्थापित कर ‘आदिवासी प्रेरणा स्थल’ विकसित किए जावे।भारत देश के किसी भी राज्य केन्द्र शासित प्रदेश, जिले में भ्रमण, आवागमन, पर्यटन के लिए आने-जाने के लिए भारत भूमि के प्रथम राष्ट्र (The first Nation) आदिवासी समुदाय के आनुवंशिक वंशजों के लिए Aborigines card or Indigenous card आधार कार्ड की तर्ज पर बनाकर सुविधा दी जाए ताकि अपने देश में Toll Tax, other state border entry road tax, RTO charges in different state of India बगैर चुकाए आना-जाना कर सके। देश भर में आवागमन Tax free हो। अनुसूचित क्षेत्र में Toll Booth न हो। विश्व की प्राचीनतम गोंडवानालैंड की पर्वतमालाएँ क्रमशः अरावली पर्वतमाला, विंध्याचल पर्वतमाला, सातपुडा पर्वतमाला, सहयाद्री की वृक्षविहिन पर्वत चोटियों पर ‘जनजाति विकास विभाग (TAD) पवन चक्कीयां लगवाकर जलस्त्रोतों से पानी पहाडियों पर चढ़ाकर पर्वतश्रृंखलाओं को हराभरा करने की योजना ‘नदी जोडो अभियान’ की तर्ज पर शुरू की जाए तथा पवन चक्कियों की बिजली आदिवासी परिवारों को मुफ्त उपलब्ध करावे। ऐसी नीति सभी ‘अनुसूचित क्षेत्रो’ में बनाकर अमल करावे। इस दोरान भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के शंकर बामनिया चतरसिह मण्डलोई नितेश अलावा विक्रम चौहान मुकेश रावत रितुराज लोहार दिलीप भिंडे संदीप डावर गुमान चोहान मनीष देवारचिया संजय भुरिया भुवान चोहान सहीत अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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