अमृत सिद्धि महायोग , सिद्धि योग में मनेगा ऋतुराज बसंत महापर्व

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जीवनलाल राठौड़, सारंगी

ऋतुराज बसंत के आगमन का पर्व बसंत पंचमी इस बार माघ शुक्ल पंचमी के दिन 16 फरवरी मंगलवार को मनाया जाएगा इस बार यह रेवती नक्षत्र में मनाया जाएगा जिससे सारे दिन शुभ कार्य किए जा सकते हैं बसंत पंचमी पर्व को लेकर अंबे माता मंदिर पर तैयारियां जोरों से चल रही है
बसंत पंचमी का पर्व और धूमधाम से मनाने की तैयारी आरंभ कर दी गई शादियों के लिए यह दिन खास रहेगा तो शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी उस दिन का खास महत्व है प्रकृति में भी नए बदलाव इस दिन से देखने को मिलेंगे बसंत पंचमी के पर्व पर जो एवं गेहूं की बालियां टेसू के फूल मां शारदा को अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाएगा ज्योतिषाचार्य पंडित प्रफुल्ल शुक्ला ( पेटलावद ) सुधीर भट्ट सारंगी ने बताया कि बसंत पंचमी आनंद उत्सव है इसके अधिष्ठाता प्रजा पालक विष्णु और श्री कृष्ण हैं ज्योतिषाचार्य के अनुसार किस वर्ष मंगलवार के साथ अश्विनी नक्षत्र का संयोग अमृत सिद्धि महायोग व सिद्धि योग भी बन रहा है जो भक्तों के लिए खास है
भोमाश्विनी योग का सहयोग दुर्लभ है जो रात्रि 10:55 बजे से दूसरे दिन सूर्योदय तक रहेगा जो विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं उन्हें इस योग में मां की साधना से सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होगी

शुक्र का तारा अस्त

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सृष्टि काल में आदि शक्ति ने अपने को पांच भागों में बांट लिया है राधा पदमा सावित्री दुर्गा और सरस्वती के रूप में श्री कृष्ण के विभिन्न अंगों से उस समय श्री कृष्ण के कंठ से उत्पन्न देवी का नाम सरस्वती हुआ यही कारण है कि सतोगुण संपन्ना देवी सरस्वती का अधिकार वाणी पर माना जाता है यह वही विराजमान होती है ज्योतिषाचार्य ने बताया की बसंत पंचमी की मान्यता अबूझ मुहूर्त के रूप में हैं लेकिन इस वर्ष बसंत पंचमी पर शुक्र का तारा अस्त होने से विवाह आदि शुभ कार्यों के मुहूर्त पंचांग कारों ने निर्धारित नहीं किए हैं शुक्र गुरु की विवाह आदि कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका है शुक्र काम जीवन का महत्वपूर्ण कारक माना जाता है शुक्र का तारा अस्त होने से विवाह आदि मंगलकारी नहीं हो सकेंगे

बसंत पंचमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त :
बसंत पंचमी के दिन शुभ मुहूर्त इस बार 16 फरवरी को सुबह 3:00 बज कर 36 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन 17 फरवरी को सुबह 5:46 पर होगा पंचमी के मौके पर रेवती नक्षत्र में अमृत सिद्धि योग व रवि योग में मां सरस्वती की पूजा होगी बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त लगभग 6 घंटे का है जिसमें अभिजीत मुहूर्त 11:41 से दोपहर 12:26 तक रहेगा इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने के साथ स्वादिष्ट चावल बनाए जाते हैं पीला रंग बसंत का प्रतीक होता है शिक्षा और संगीत के क्षेत्र में जुड़े लोग इस दिन का साल भर से इंतजार करते हैं मान्यता है कि मार्च माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती ब्रह्मा जी के मुख से प्रकट हुई थी इसलिए इस दिन को वसंत पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाता है

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