आज संपूर्ण विश्व में जहां पर्यावरण प्रदूषण को लेकर तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं , वायु की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम और संगठन बनाए जा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर आदिवासी अंचल के जिले झाबुआ और अलीराजपुर प्रकृतिक रुप से प्रदूषण से निपटने का उदाहरण प्रस्तुत कर रहें है । जी हां हम बात कर रहे हैं शिकागो विश्वविद्यालय की शोध संस्थापक एपिक द्वारा तैयार किया गुणवत्ता सूचकांक कि जिसमें मध्य प्रदेश के समस्त जिलो को वायु की गुणवत्ता के आधार पर जांचा गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश की हवा तेजी से जहरीली होती जा रही है, इसका असर यह हो रहा है कि प्रदेश में रहने वाले लोगों की औसत आयु 3 साल कम हो गई है रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा जहरीला हवा भिंड की है इससे वहां के लोगों की आयु करीबन 7 साल कब हुई है भिंड का प्रदूषण इंडेक्स 7.5 तक पहुंच गया है तो वही इंदौर भोपाल ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों का प्रदूषण सूचकांक भी लगभग 5 इंडेक्स को छू रहा है ।अलिराजपुर जिले के लिए सुखद बात है कि प्रदेश में सबसे स्वच्छ वायु अलिराजपुर जिले की बताई गई है जिसका प्रदूषण सूचकांक 2 इंडेक्स है। अलीराजपुर के बाद झाबुआ जिले का स्थान आता है जहां कि वायु गुणवत्ता सूचकांक में प्रदूषण की मात्रा 2.3 इंडेक्स है ।संस्थान ने भारत के सभी राज्यों का मापन किया है जहां के लोग प्रदूषण से प्रभावित हैं। अलीराजपुर झाबुआ जिले की प्राकृतिक दशाा जो वहां की परंपरा के कारण अभी भी अनुकूल बनी हुई है का फायदा ही है की अलीराजपुर में प्रदूषण का स्तर सबसे कम रहा है । हालांकि झाबुआ के मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र से समय समय पर प्रदूषण की खबरें आती रही हैं यह हमारे लिए सुखद बात हे कि अलीराजपुर व झाबुआ जिले में वायु गुणवत्ता सूचकांक संबंधित प्रदूषण कम पाया गया लेकिन यह हमारे लिए एक चुनौती भरा कार्य है कि हम इसे बनाए रखें ताकि सतत विकास का फायदा लंबे समय तक लिया जा सके।
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