कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा होना चाहिए या नहीं,परीक्षा पर चर्चा हेतु आनलाईन बैठक का आयोजन

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बुरहान बंगड़वाला, झाबुआ
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव माननीय अतुल कोठारी जी की प्रेरणा से  ’’कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा होना चाहिए या नहीं, और यदि होना चाहिए तो उसका स्वरूप कैसा हो?’’ इस विषय पर चर्चा हेतु आनलाइन बैठक का आयोजन किया गया।बैठक में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के मध्य क्षेत्र के क्षैत्रीय सहसंयोजक  ओम शर्मा, राष्ट्रीय संयोजक प्रचार-प्रसार अथर्व शर्मा, विभिन्न शासकीय व अशासकीय विद्यालयों के प्राचार्य, शिक्षक, पालकगण, विद्यार्थी एवं न्यास के सदस्य को मिलाकर लगभग 70 से अधिक लोगों ने सहभागिता की।
सर्वप्रथम शारदा विद्या मंदिर की प्राचार्य डाॅ. कंचन चैहान ने चर्चा के विषय की प्रस्तावना रखी। इसके पश्चात ओम शर्मा द्वारा परीक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान श्री राम, स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरूषों को भी परीक्षा से गुजरना पड़ा था साथ ही बताया गया कि मुल्यांकन बहुत ही आवश्यक है परन्तु कोरोना महामारी के चलते परीक्षा का होना अपने आप में चुनौतीपूर्ण है इसलिए मुल्यांकन पद्धति के विषय में चर्चा की जाना आवश्यक है। इसके पश्चात सभी सहभागियों को उपरोक्त विषय पर चर्चा के लिए खुला मंच दिया गया, जिसमें सभी विद्यार्थियेां, पालकगण एवं शिक्षाविदों द्वारा अपना-अपना मत रखा गया।
सकारात्मक चर्चा के दौरान 90: पालकगण, 70: विद्यार्थी, एवं 100: शिक्षाविदों का मानना था कि परीक्षा होनी ही चाहिए। इसके पीछे सभी अलग-अलग तर्क सामने आए। कुछ ने कहा कि- ’’ योग्यता का परीक्षण बिना परीक्षा के संभव नहीं है, कुछ का कहना है कि – 12 वीं की अंकसूची कई जगह उच्च शिक्षा में प्रवेश का आधार होती है, ऐसे में यदि परीक्षा नहीं होती है तो विद्यार्थियों को आगे आने वाले समय में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।’’ कुछ विद्यार्थीयों एवं पालकों का कहना था कि उनके घर में ही कोरोना पीड़ित होने के कारण और किसी परिजन की मृत्यु हो जाने के कारण बच्चों की मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा है और वे इस समय परीक्षा देने की मानसिकता नहीं बना पा रहे है। इसके अतिरिक्त कुछ ने कहा कि – परीक्षा के दौरान यदि वे कोरोना जैसी जानलेवा बिमारी की चपेट में आ गए और किसी प्रकार की अनहोनी होने की स्थिति में यह अंकसूची उनके किस काम की होगी?
इस प्रकार सभी ने अपने अपने पक्ष रखे चर्चा को अपनी सार्थकता की ओर ले गए।प्राप्त सुझावों को केन्द्रीय शिक्षा मंत्री एवं माध्यमिक शिक्षामंडल भोपाल को प्रेक्षित किया गया। अंत में श्री अथर्व जी शर्मा ने सभी शिक्षाविदों ,पालकों को एवं विद्यार्थियों का उनके अमूल्य सुझावों के लिए आभार माना और बैठक का संचालन मकरंद आचार्य ने किया।

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