मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
संपूर्ण अलीराजपुर जिले तथा आम्बुआ थाना क्षेत्र के अंतर्गत विगत वर्षों से अनेक पत्थर खदानें ग्रामीण क्षेत्रों में चालू है या कई स्थानों पर खनिज नहीं निकलने या निकालने में अधिक खर्च आने अथवा खदान मालिकों ने किन्हीं अन्य कारण से खदानें बंद कर देने से गहरी हो चुकी खदानों में प्रतिवर्ष वर्षा काल में अथाह जल भर जाता है इस वर्ष वर्षा के अंतिम काल में अधिक वर्षा होने से ऐसी कई खदानें पानी से लबरेज है जिनमें छोटे-छोटे बच्चे नहाते देखे जा सकते हैं ऐसे में पेटलावद जैसी कोई घटना घटित न हो जाए जहां खदान के गड्ढे में नहाने गई बालिका के डूबने से उसकी मृत्यु हो गई प्रशासन को इस और ध्यान देने की जरूरत महसूस की जा रही है।
हमारे संवाददाता के अनुसार संपूर्ण अलीराजपुर जिले में कई स्थानों पर विगत वर्षों में अनेक खनिज पट्टे जिनमें गौंड खनिज यानी की पत्थर खदानों के पट्टे सामान्य या ग्रामीणों के नाम से खनिज विभाग देता है मगर सीमांकन आदि कार्य राजस्व विभाग करता है खदान के पट्टे देने की अनेक शर्तें नियम है जिनका परिपालन खनिज विभाग को संबंधित पट्टाधारियों से कराना होता है मगर देखा गया की खदानें आवंटित कर देने के बाद खनिज विभाग सहित और कोई विभाग भी इधर पलट कर नहीं देखता है खदानों से माल कितना निकालना है कितने हेक्टर में निकालना यह सब उल्लेख पट्टों में रहने के बावजूद खदान पट्टाधारी मनमाने तरीके से खनन करते रहते हैं जब कभी माल समाप्त हो गया या माल निकालने में लागत अधिक आने लगे, परिवहन आदि महंगा पढ़ने लगता है तब खदानों से माल निकालना तो बंद कर दिया जाता है मगर बंद खदानों हेतु जो नियम शर्ते जैसे माल निकासी के बाद गढ़ों को धूल मिट्टी तथा खदानों से निकले अवशेषों से पुनः भरना, खदानों के आसपास तार फैंसिंग, वॉल बाउंड्री, कांटे लगाना आदि कार्य नहीं किया जाता है जिस कारण इन खदानों के गहने गढ़ों में कोई भी जानवर अथवा मानव गिर सकता है विगत वर्षों में पनवानी की एक खदान में बैल गिरकर मर गया था।
