सिविल हॉस्पिटल में को लेकर एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें कोविड-19 जांच में पॉजिटिव व्यक्ति का कहना है कि उन्होंने टेस्ट करवाया नहीं फिर भी रिपोर्ट पोजेटिव आ गई। तो वही बीएमओ डॉ अनिल राठौड़ का कहना है कि गलत आरोप लगा रहे हैं, जांच नहीं करवाई तो रिकॉर्ड में नाम कैसे आया।
रिपोर्ट में पॉजिटिव सतीश उपाध्याय ने बताया कि विगत 1 अप्रेल 2020 को उक्त केंद्र पर अपनी जाँच करवाने मित्र वासुदेव नागर के साथ पहुँचे स्थानीय निवासी सतीश लालशंकर उपाध्याय (51 वर्ष) का कहना है कि उन्हें निजी कारणों से बाहर जाना है इसलिए कोविड कि जाँच करवा कर साथ ले जाना चाहते है, लेकिन जब उन्हें पता चला कि कोविड टेस्ट रिपोर्ट आने में 3 से 5 दिन तक लग सकते है तो उन्होंने अपनी जाँच का विचार त्याग दिया व बिना जाँच करवाये ही निकल गए। ऐसे में उन्हें उक्त केंद्र से 9 दिन बाद फोन आता है कि आप कोरोना पोजेटिव है 10 दिन होम आइसोलेशन में रहे। उक्त खबर सुनकर सतीश को काफी हैरानी हुई। जबकि 7 अप्रेल को उन्होंने अपनी पत्नी के साथ इसी केंद्र पर कोविड का वैक्सीन भी लगवाया था तब भी किसी ने भी उन्हें यह बात नही बताई। उन्होंने अन्य जन के साथ इस तरह की लापरवाही न हो इस उद्देश्य से सबसे पहले उक्त केंद्र के बीएमओ को बताई लेकिन जब वे भी इस बात को स्वीकार नही करते हुए संतोषप्रद जवाब देने में असमर्थ रहे तो स्थानीय मीडिया को बताया। मीडिया ने इसे केंद्र की घोर लापरवाही मानते हुए सम्बन्धित अधिकारी व एसडीएम से चर्चा की। आपको बता दे कि जब सतीश उपाध्याय ने कोविड के सेम्पल ही नही दिए तो उनकी रिपोर्ट पोजेटिव कैसे आई वह भी 9 दिन बाद जब तक तो होम आइसोलेशन की अवधि ही लगभग समाप्त हो जाती है। वही उनके साथ उस दिन जाँच करवाने वालो को 5 अप्रेल को ही मैसेज द्वारा सूचना प्राप्त हो जाती है जबकि इनके पास महज फोन द्वारा ही सूचना मिलती है। इनकी आरटीपीसीआर टेस्ट किट का क्या हुआ इन्हें रिपोर्ट कॉपी भी क्यो उपलब्ध नही करवाई गई। इन सब सवालों से उक्त केंद्र पर कोविड किट को लेकर बड़ा भ्रष्टाचार होने की आशंका लगती है। यदि ऐसे ही अनेक लोगों को बिना जाँच के ही रिपोर्ट पोजेटिव अथवा नेगेटिव बताई जा रही है तो उक्त किट को ये आर्थिक लाभ कमाने के लिए अन्य लेब वालों को भी बेच सकते है। स्थानीय पत्रकारों ने भी उक्त सतीश की बात को गम्भीरता से लेते हुए एसडीएम से जाँच की मांग की है। वही जिला सीएमएचओ को भी दूरभाष से सम्पर्क करना चाहा लेकिन उन्होंने फोन उठाने तक नही उठाया।
डॉक्टर बी एम राठौर ने बताया कि हॉस्पिटल रिकॉर्ड में आरटी पीसीआर करवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति का नाम मोबाइल नंबर पता व अन्य जानकारी दर्ज होती है, अगर कोई व्यक्ति जांच करवाता है तभी उसकी संपूर्ण जानकारी रिकॉर्ड में ली जाती है एवं उसके बाद ही जांच की जाती है, रिकॉर्ड में किसी ऐसे व्यक्ति की जानकारी जिसने जांच ना करवाई हो दर्ज होना नामुमकिन है, अनावश्यक भ्रमित करने के लिए हॉस्पिटल स्टाफ पर आरोप लगाए जा रहे हैं पॉजिटिव होने की जानकारी व समस्त रिकॉर्ड सहि है।
फिलहाल मामला अनु विभागीय अधिकारी ज्योति परस्ते एवं जिला अधिकारी के संज्ञान में लिया गया जिनके द्वारा मामले की जांच की जा रही।