अपराध की दुनिया में धकेल रहा जुनून; दिनदहाड़े 4 युवकों ने की फिनो बैंक के कर्मचारी से मारपीट …

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मुकेश परमार@ क्राइम रिपोर्टर झाबुआ
आज का युवा कुछ भी पाने के लिए किसी भी हद तक जाता दिख रहा है। युवाओं का अपराध की दुनिया में प्रवेश उनके जुनून के चलते हो रहा है। युवा वर्ग का बिना सोचे-समझे किए जाने वाला यह आपराधिक जुनून समाज के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। पंद्रह से 30 वर्ष के आयु वर्ग के युवा अपराध में अधिक लिप्त दिख रहे हैं।
जी हां, शांति का टापू कही जाने वाली झाबुआ जिले की पेटलावद नगरी में दिनोदिन कम उम्र के युवाओं की अलग-अलग टुकड़ियों में बनी गैंग से घिर गई है। आये दिन किसी न किसी बेकसूर के साथ मारपीट करने जैसी घटना शहर में आम हो चली है। यह पेटलावद के भविष्य के लिए खतरे की घण्टी के समान हैं।
ऐसा ही एक मामला कल देर शाम को साईं मंदिर के पीछे सामने आया। जहां 4 युवकों ने जिनकी उम्र कम है वो फिनो बैंक के कर्मचारी के पास आये और उसके साथ मारपीट करने लग गए। यही नही मारपीट करने आये तो अपने साथ लठ्ठ, पत्थर आदि लेकर आये, आखिर इन्हें यह अधिकार किसने दिया कि दिनदहाड़े एक बेकसूर युवक के साथ मारपीट करे। मारपीट का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 6 सेकंड के वीडियो में 4,5 युवक एक युवक को जबरन मारने के लिए दौड़ रहे है।
मामले में इसकी रिपोर्ट पेटलावद पुलिस थाने में की गई। रिपोर्ट में पीड़ित विकास बामनिया ने बताया कि वह बरवेट में रहता है और फिनो बैंक में काम करता है। उसका भाई आकाश बामनिया आशीष गारमेंट्स पर काम करता है। पेटलावद के रहने वाले कान्हा मेडा, रायपुरिया निवासी निखिल त्रिवेदी, पेटलावद निवासी मोनू खान और मंदीप धोबी उसके भाई के पास गए और उसके साथ गाली गलौच करने लग गए, इसके बाद यह चारो उसके भाई को लेकर उसकी बैंक पर पहुंचे जहां इन चारों ने दोनों के साथ मारपीट शुरू कर दी। इसके बाद आसपास के लोगो ने बीचबचाव कर मामला शांत कराया। हालांकि मामले में पुलिस ने इन चारों युवकों के खिलाफ धारा 294, 323, 506, 34 भादवी के साथ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम 1989 (संशोधन 2015) की धारा 3(1)(द) व
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम 1989 (संशोधन 2015) की धारा 3(1)(घ) के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है।
अब बड़ा सवाल यह है कि शहर की शांत फिजा में जहर घोलने वाले ऐसे कई युवक नगर में घूम रहे है। यह तो एक छोटा मामला था तो इतना हाईलाइट नही हुआ, लेकिन अगर ऐसे युवक किसी बड़ी घटना को अंजाम दे देंगे तो पेटलावद की आबोहवा के लिए यह बिल्कुल ठीक नही है। पेटलावद में अक्सर देखने मे आ रहा है कि कई मोहल्लों में ऐसे युवक है जिन्होंने अपनी खुद की गैंग बना रखी है। कई मामले थाने में भी गए और समझौते हुए तो कई मामले मोहल्लों में ही सुलझा लिए गए।
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