रविवार सुबह जब पत्रकार मित्र तेजकुमार सेन ने खबर दी की फौजदारी के ख्यातनाम वकील जयसिंह नही रहे तो भरोसा ही नही हुआ। जयसिंह यानि फौजदारी वकालात की ऐसी शख्शियत जिनके हाथ मे अपना केस सौंपने के बाद आपको पहले ही क्षण यह आश्वस्ति हो जाती थी की अब चिंता की जरूरत नही, फैसला कभी भी हो आपको यह भरोसा होने लगता था कि अब बरी होना तय है।
वे उन चुनिंदा वकीलों मे शामिल थे जिन्हे अपना फौजदारी केस सौंपने के लिए प्रदेश के कौने कौने से लोग इंदौर आते थे, उनका शुमार उन वकीलो मे था जिन्हें बार और बैंच मे बराबरी का सम्मान हासिल था। अपने अकाट्य तर्को से उन्होने हजारों ऐसे मामलो मे अपने पक्षकारों को मुक्ति दिलवायी जिसमे उनके बरी होने की संभावना हर स्तर पर शून्य बता दी गई थी।
जयसिंह सा यारों के यार और एक बहुत ही जिंदादिल इंसान थे, फौजदारी के अच्छे वकीलों की एक बडी टीम वे खडी करके गए है।एक घराने के वे शीर्ष पुरूष थे वे। बेटे विवेकसिंह उनकी विरासत को बखूबी संभालेंगे और सर की कमी को खलने नही देंगे। इंदौर की पत्रकार बिरादरी की और से सर को विनम्र श्रृद्धांजलि।
हम तुम्हें भूला न पायेंगे
सौजन्य श्री अरविंद तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार