क्या आप जानते है भगवान कृष्ण को ” रणछोड” नाम किसने दिया

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झाबुआ / अलीराजपुर लाइव डेस्क ।1827therednews

द्वापर में जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया था तो भगवान वापस मथुरा आ गए थे. भगवान कभी चैन से नहीं बैठे पहले जरासंध ने उनसे लगातार युद्ध और हमले किये तो कभी दूसरे दुश्मन राजाओ ने. सबसे से भरी था अमरता का वरदान पाने वाला कालयमन जिसे भगवान् मार न सके.

हालत ये थी की कई बार भगवान् को जान बचाने के लिए रणभूमि छोड़ कर भागना पड़ा और उसी कालयमन ने कृष्णा को रणछोड़ का नाम दिया जो भगवान को भी अतिप्रिय हुआ. भक्त उन्हें पड़े प्यार से इस नाम से बुलाते है, पर ऐसा नहीं है की कृष्ण ने उसे जिन्दा छोड़ दिया. उसने एक बार कृष्ण ने घायल भी कर दिया था, उस घायल अवस्था में जब गोपिया कृष्ण से मिलाने आई तो उसी के लुटेरो ने उन्हें भी लूट लिया यंहा तक की अर्जुन भी उन्हें नहीं बचा सका*.

तब भगवान कृष्ण ने उसे युद्ध में ललकारा भयंकर युद्ध हुआ पर अमरता के कारण वो भरी पड़ने लगा, इस पर कृष्ण फिर भाग खड़े हुए और एक गुफा में जा छुपे. उसी गुफा में मुचुकुन्द नाम के एक राजा वर्षो से सो रहे थे और उन्हें ये वरदान था की जोभी उनकी नींद भंग करेगा वो जल कर भस्म हो जायेगा.

मुचकन्द की कथा आपको पहले बता देते है, मुचकन्द त्रेतायुग के प्रतापी राजा थे. एक बार देवताओ पर दानव भरी पड़ने लगे तो इंद्र ने मुचकन्द को सहायता के लिए बुलाया. उन्होंने एक वर्ष तक दानवो से युद्ध किया और अंततः देवता विजयी हुए. जब राजा वापस धरती पर आये तो उन्हें यंहा सब उलट पलट मिला, दरअसल देवलोक का एक वर्ष धरती के 365 साल होते है. तब राजा संशय में थे पर देवताओ ने उन्हें वर मांगने को कहा.

मुचकन्द निन्द्राग्नि में जल रहे थे और उन्होंने कहा की मुझे बड़ी नींद आ रही है मैं सोना चाहता हूँ. इस पर देवताओ ने उसे उसी गुफा में जाकर सोने को कहा और ये वरदान दिया की जो कोई भी तुम्हारी नींद खोलेगा उसे अग्नि भस्म कर देगी. कृष्ण तो अंतर्यामी थे, उन्होंने यही जान कर गुफा में छुपाने का निर्णय किया. इतना ही नहीं उन्होंने अपने वस्त्र मुचकन्द पर डाल दिए ताकि कालयमन को धोखा हो.

कालयमन पीछा करते हुए आया और कृष्ण को छुपा जान कर उसने मुचकन्द को नींद से जग दिया, जैसे ही उस पर मुचकन्द की दृष्टि पड़ी अमर कालयमन भस्म हो गया. तब कृष्ण ने मुचकन्द को दर्शन दिए और अपना मनोरथ समझाया. बोलिए कृष्ण कन्हैय्या रणछोड़ की जय.

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