फाईलो में कैद हो गई प्रक्रिया; रतलाम-झाबुआ फोरलेन में फंसा पेंच; जनता के सपने पर लगा ग्रहण

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सलमान शैख़@ झाबुआ Live
रतलाम-झाबुआ तक बनने वाला फोरलेन फाइलों में कैद हो गया है। इसे लेकर तमाम चुनावो में वायदे भी हुए, लेकिन अब कोई प्रयास नही किए जा रहे है। इस फोरलेन के बनने का सपना देख रही झाबुआ-रतलाम जिले की जनता का ख्वाब कब पूरा होगा यह एक यक्ष प्रश्न बन गया है। केंद्र में फिर से भाजपा सरकार काबिज होने के बाद से इस लोकसभा क्षैत्र में कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं हुई है। ना तो क्षेत्र की जल समस्या का निराकरण हुआ और ना ही सड़कों के हाल बदले। पानी व सड़क के लिए तो आंदोलन भी करना पड़े। इन दोनों मुद्दों पर राजनीति भी खूब हुई। जनप्रतिनिधियों ने आश्वासन जरूर दिए, लेकिन वस्तुस्थिति आज भी वैसी ही है। मुख्य तौर पर क्षेत्र की राजनीति में सड़क व पानी हमेशा से ही जटिल मुद्दा रहा है। जनता द्वारा चुने गए नेता आते रहे और जाते रहे, लेकिन सड़क व पानी के मुद्दे अब भी जिंदा है।
गौरलतब है कि पूरे प्रदेश में बिछ रहे सड़कों के जाल में एक और नया अध्याय झाबुआ-रतलाम मार्ग का भी जुड़ने वाला था, एनएचएआई ने इस मार्ग को फोरलेन में तबदील करने की कवायद भी शुरू की थी, लेकिन अब इस फोरलेन को लेकर किसी भी प्रकार का प्लान नही होना एनएचएआई के अधिकारियो द्वारा कहा जा रहा है। इस संबंध में कोई भी अधिकारी जानकारी नही होना बता रहा है।
झाबुआ-रतलाम फोरलेन दो बड़े जिले की जनता के लिए सपना है। यह सपना कई वर्षो से बयानबाजी और भूमि अधिग्रहण के पेंच में झूल रहा है। परिस्थितियां कमोबेश अभी वही है, लेकिन अब इस प्रोजेक्ट को लेकर शासन-प्रशासन की बॉडी-लैंग्वेज बदल गई है। इसकी प्रक्रिया बाइ-हूक एंड क्रूक रणनीति के तहत शुरू हुई और अब इस फोरलेन के निर्माण की प्रक्रिया पर ग्रहण मानो ग्रहण ही लग गया। इसके पीछे राज्य सरकार की केमिस्ट्री में आए बदलाव को वजह मानी जा रही है।
फाईलो तक सिमट गई प्रक्रिया
झाबुआ से रतलाम तक सड़क के फोरलेन से आदिवासी अंचल में सफर करना सुगम और सुहाना होता, इसे लेकर सभी को उत्सुकता भी थी, लेकिन इस फोरलेन का सपना संजोए लोगो को अभी और इंतजार करना होगा, क्योकि निर्माण की प्रक्रिया अब फाइलों तक सिमट गई है। वर्ष 2019 में एनएचएआई द्वारा जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई थी और इसके लिए दोनो जिलो के पटवारियो को को सर्वे कराया था। पेटलावद में भी पटवारियो ने सर्वे किया और रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी, लेकिन जो धारा 3 (ए) का प्रकाशन होना था वह आज दो साल बीतने के बाद भी नही हो सका। फोरलेन निर्माण के लिए पूरी प्रक्रिया को चार चरणों थ्री ए, बी, सी और थ्री डी में बांटा गया था। यह सब प्रक्रिया पेटलावद अनुविभागीय कार्यालय से पूर्ण हो चुकी थी और जिन-जिन स्थानो पर किस सर्वें नंबर की कितने रकबे की भूमि फोरलेन निर्माण में जाएगी इसकी सभी जानकारी कलेक्ट कर उच्च अधिकारियो को भेज भी दी गई थी, लेकिन धारा 3 (ए) के प्रकाशन और उसके बाद होने वाली पांचवें चरण थ्री ई का काम शुरू होना था, इसके बाद सरकार जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू करती और फिर थ्री जी में मुआवजे का आकलन और थ्री एच में जमीन के मालिकों को मुआवजा दिया जाता, लेकिन प्रक्रिया बीच में रूक गई।
रतलाम से गुजरात जाना होता आसान
रतलाम-झाबुआ फोरलेन के बन जाने से रतलाम क्षेत्र के हजारों यात्री कम समय एवं बिना परेशानी के गुजरात के बड़े शहरो में पहुंच सकते थे, शासन की भी योजना है कि एक हाईवे से दूसरे फोरलेन हाईवे को फोरलेन से जोड़ा जाए, ताकि यात्री बाधा रहित यात्रा कर अपने गंतव्य तक पहुंच सकें। इससे एक ओर लाखों लीटर वाहनों के ईंधन की बचत होगी। वहीं पर्यावरण सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान होता। साथ ही वाहनों के रखरखाव पर होने वाला खर्च कम होता, लेकिन अब यह सपना एक सपना बनकर रह गया है।
पेटलावद को देखा जाता जक्शन के रूप में, उद्योगों को मिलता बढ़ावा
इस फोरलेन सड़क के जाल में पेटलावद को जंक्शन के रूप में देखा जाता, क्योंकि बदनावर और रतलाम से आने वाले दोनों की मार्गों को पेटलावद में जोड़ा जाना था। इससे पेटलावद जक्शन के रूप में उभरता और पेटलावद को इसका सर्वाधिक लाभ भी मिलता। साथ ही नगर में यातायात की समस्या से भी निजात मिलती। बड़े वाहनों का आवागमन बाहर से होता। थांदला-बदनावर स्टेट हाईवे की बात की जाए तो अभी इस संबंध में कोई योजना नहीं है। आगे वाले चरण में इस मार्ग को लिया जा सकता है। पेटलावद क्षेत्र को औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने में सबसे बड़ा रोल यह फोरलेन अदा करता।। कारण पेटलावद, रतलाम, राजस्थान, गुजरात, इंदौर व उज्जैन, भोपाल सहित अन्य स्थानों पर जाने के लिए पूर्ण सुविधा मिलती। इस कारण से कसारबर्डी औद्योगिक क्षेत्र को भी बढ़ावा मिल सकता था।
एनएचएआई कर रही थी प्रक्रिया-
एमपीआरडीसी के धार-इंदौर के रोड़ इंजीनियर दिनेश पाटीदार से चर्चा की तो उनका कहना था, इस संबंध में एनएचएआई पूरी प्रक्रिया कर रही थी। हम इसमें कोई भी प्रक्रिया नही कर रहे थे।
हमारे प्लान में नही है-
जब एनएचएआई के एक अधिकारी अजहर से चर्चा की तो उन्होनें बताया इस फोरलेन को लेकर हमारे द्वारा कोई प्लान नही बनाया जा रहा है। अभी हम 8-लेन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे बना रहे है। अगर अगले चरण में वरिष्ठ अधिकारियो द्वारा अन्य फोरलेन निर्माण में शामिल किया जाएगा तो ही प्रक्रिया शुरू होगी।
पेटलावद विधायक बोले- यह भाजपा की दोहरी नीति-
पेटलावद विधायक वालसिंह मैड़ा से चर्चा की गई तो उन्होनें केंद्र और प्रदेश में काबिज भाजपा की सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया। उन्होनें कहा कि पहले तो जिले की जनता को सपना दिखाया और वोट लिए, लेकिन अब जो वायदे किए थे उन्हें पूरे नही कर रहे। जनता सब देख रही है।
पूर्व विधायक निर्मला भूरिया ने कहा- करूंगी सीएम से बात
पूर्व विधायक निर्मला भूरिया ने कहा कि रतलाम-झाबुआ फोरलेन को मेरे द्वारा अर्थक प्रयास कर योजना से जोडा गया था। जिसका सर्वे भी हुआ था, लेकिन अभी फाईल कहां अटकी है इसका पता लगवाउंगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह जी को मामले से अवगत करवाउंगी।

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