कांग्रेस की जीत या सिर्फ भाजपा की हार

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ritesh gupta ki report
loser-clipart-stock-vector-loser-86053264थांदला- भाजपा विधानसभा चुनाव मे अपनी जमानत जब्त कराने के बाद लोकसभा मे मोदी लहर के चलते जीतने के बाद मात्र 18 माह मे कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली इस संसदीय सीट को पुनः गंवा दिया। अब इस हार को लेकर सभी केे द्वारा अपनी अपनी कवायद लगाई जा रही है कि आखिर क्यो इतनी जल्दी भाजपा ने आमजनों का विश्वास जो एक लंबे अंतराल के बाद भाजपा पर लोगो का हुआ था कैसे खो दिया। वे ऐसे कोनसे कारण थे जिनके चलते लोगो ने सिर्फ भाजपा को नकारा है ओर विकल्प के अभाव मे कांग्रेस को क्यो चुना
भाजपा के अवसरवादी नेता
प्रदेश मे लगातार तीसरी बार शिवराज की सरकार का आना व देश मे मोदी की सरकार होना स्वयं शिवराज का शासन एवं मोदी की लहर का परिणाम है जिसमे भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओ एवं गले मे सिर्फ केसरिया गमछा डालकर घूमने वाले अवसर वादी नेताओं का किसी प्रकार का कोई योगदान नही था परन्तु जैसे प्रदेश एवं देश मे भाजपा काबिज हुई इन अवसरवादी नेताओं ने इस बिना मेहनत के तोहफे से अवसर भुनाने शुरु कर दिए। आम जनों का शोषण, खुलेआम भ्रष्टाचार, घटिया स्तर के निर्माण करवाना। इन अवसरवादी नेताओ ने किसी काम को करवाने के लिए कमीशन खोरी करना एवं डरा धमका कर राशि ऐठना अपना व्यवसाय बना लिया था जिसके चलते परिणाम के रुप मे मतदाताआंें ने मोन रह कर इन अवसरवादी नेताओं को जवाब दिया। जनता जानती थी कि इस हार से न शिव का राज जायेगा ना ही मोदी सरकार पर कोई आंच आएगी। परन्तु इन अवसरवादी नेताओं का अहम जरुर चूर-चूर जरुर हो जाएगा।
बागियों एवं पार्टी विरोधी नेताओं को संरक्षण
स्थानीय स्तर पर पार्टी की रीड़ को कमजोर करने वाले भाजपा के बागी एव पार्टी विरोधी गतिविधियों मे लगातार संलग्न रहने वाले नेता जो कभी पार्टी के हितेषी थे ही नही को संरक्षण देना भाजपा के लिए खासा नुकसान दायी रहा। पार्टी के अहीत चाहने वाले इन नेताओं ने अन्दरुनी एवं गोपनीय बातों को विपक्षियों तक पहुंचाने मे प्रमुख भूमिका निभाई। गोरतलब है कि इन बागियों को जिताने व भाजपा मे अंदरुनी कलह पैदा करने मे विपक्ष ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई थी ।
आदिवासी हितो का हनन
थांदला की नगर परिषद के चर्चे एवं चल रहे भ्रष्टाचार किसी से छीपे नही है। भ्रष्टाचार के चलते नगर का विकास न करना ओर आम जनो की समस्याओं को सुनने की बजाय एक ओर नई समस्या को बढ़ा देना बस यही नगर परिषद की सोगात बीते 3 वर्षो मे नगर को मिली है। ऊपर से नगर परिषद अध्यक्ष की फर्जी जाती मामला जिसके चलते क्षेत्र के आदिवासीयों को अपना हित हनन होता दिखाई देने लगा। सभी स्थितिया स्पष्ट होने के बावजूद भी शासन प्रशासन द्वारा किसी प्रकार कार्रवाई नहीं की जा रही है शासन प्रशासन भी आदिवासी हितों का हनन करने वालों को संरक्षण प्रदान कर रही है तो ऐसी सरकार आगे क्या आदिवासियों के हितों की लड़ाई लड़ेगी ।
माफियाओ से चोली दामन का साथ
क्षेत्र के सभी माफियाओं एवं आपराधियों को न सिर्फ पार्टी ने संरक्षण दे रखा है अपितु उन्है आथिूक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पार्टी का पदाधिकारी बना कर उनसे लाभ लिया जा रहा है। जिससे आम जनता मे भाजपा की छवी धुमील हो रही है इन नेताओ मे चारित्रिक एवं नैतिक मूल्यों का पतन होने से पार्टी को इस बार हार का मुंह देखना पड़ा।
मीडिया को भी नही बख्शा
भाजपा जनप्रतिनिधियों, पदाधिकारीयों ने मीडिया को भी नही बख्शा एवं न केवल मीडिया की उपेक्षा करना शुरू किया अपितु उन्हे अपमानित करने मे भी कोई कसर बाकी नही रखी। जिस मीडिया को मुख्यमंत्री सम्मान देते थे उस मीडिया से भी भाजपा के जिम्मेदारो ने भेदभाव बरतते हुए दूरी बना ली।
जनकल्याण कि बजाय अपना ही किया कल्याण
कही ना कही क्षेत्र की जनता में भाजपा के प्रति आक्रोश था जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में कमी रही विकास के कार्य अधूरे रहे और उनमे भ्रष्टाचार भी हावी रहा जिसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ा। मुख्यमंत्री की कपीलधारा कूप निर्माण योजना मुख्यमंत्री आवास योजना मे जमकर भ्रष्ट्राचार व भेदभाव ने जहां चुनाव में भाजपा को सबक सिखाया है तो मनरेगा योजना का लाभ व बकाया मजदुरी के भूगतान ने मजदूर मतदाताओं का भाजपा के प्रति मोह भंग किया है। मंहगाई अगर भाजपा को ले डुबी है तो चुने हुऐ जनप्रतिनिधियों, संगठन पदाधिकारियो द्वारा कमीशनखोरी ,सप्लाइर बन खुद अधिक से अधिक लाभ अर्जित करने की चेश्ठा एवं कार्यकर्ताओ की उपेक्षा भी भाजपा पर भारी रही। ईमानदार सरकार के वादे पर जब बेईमान व चाटुकारों की फौज मौज करने लगी तो हर ईमानदार व्यक्ति ने भाजपा से दूरी बनानी शुरू की जो इस चुनाव मे भाजपा के प्रदेश स्तरिय नेताओ, मुख्यमंत्री की आंखे खोलने के लिए काफी है। यही नही भ्रश्ट नेताओं ने परिजनों के माध्यम से एन जी ओ संचालीत कर व समुहो के माध्यम से शासन को जमकर चुना लगाने मे भी कोई कसर नही छोड़ी व हितगा्रहीयों को षोशित कर लाभ का कोई अवसर नही छोड़ा । वही भ्रश्ट नेताओं ने व्यापारियों एवं अधिकारियों से सरकार की धोंस पर जमकर चंदा वसुली की जिसके परिणाम स्वरुप इस वर्ग ने गरीब आदिवासीयों का हक मार कर इन भ्रष्ट नेताओं की पूर्ति की, जिससे शासन की जन कल्याणकारी योजनाओ का पूरा-पूरम लाभ हितग्राहियों को नही मिल पाया ओर खामियाजा इस उपचुनाव मे पूरी भाजपा को उठाना पडा।
1 रु किलो अनाज सिर्फ रिकार्ड तक
अन्त्योदय योजना के तहत समाज के उस अंतीम एवं असहाय गरिब तक पहुंचने वाले एक रुपए किलो चावल व गेहूं की योजना भी सिर्फ सरकारी दस्तावेजों मे रिकार्ड मात्र बनकर रह गई । पिछले कई महीनों से इन हितग्रहियों तक अनाज नहीं पहुंच पाया कभी स्टाक की समाप्ती तो कभी कागजी दस्तावेजों जैसे पात्रता पर्ची ,आधार कार्ड के अभाव मे इन गरिबों को वंचीत रखा गया। ओर इन गरीबो मे बटने वाला अनाज परिवहन के नाम पर ठेकेदार द्वारा सोसाइटियों पर न पहुंचाकर उनसे पावती की रसीद लेकर एक रुपए किलो का अनाज 15 रुपए किलो मे अन्य प्रदेशो एवं फेक्ट्रियों पर बेचा जाता है। जिससे लाभन्वित न केवल ठेकेदार अपितु उससे साठ गांठ किये हुए कई भाजपा नेता भी होते है । इस बात को आम मतदाता ने जाना ओर इन अवसरवादी नेताओ की मती ठिकाने पर लाने के लिये इस उपचुनाव मे जनता के आक्रोश ने भाजपा को ओंधे मंुह गिराया ।
कांग्रेस को विशेष अवसर
भाजपा के स्थानीय नेताओ की खामियों के चलते जो अवसर कांग्रेस को इस क्षेत्र की जनता ने दिया है वहीं कांग्रेस ने भी निष्चय किया है कि वह प्रदेश मे एक ऐसे उदाहरण के रुप मे प्रस्तुत करेंगे की पुनः प्रदेश मे कांग्रेस को सत्ता प्राप्त हो। एक कुशल विपक्ष की भूमिका निभाते हुए क्षेत्र मे विकास के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करेगी । षासन की योजनाओ की मानीटीरिंग करेगें ओर योजनाओ को बिना भेदभाव हर उस व्यक्ति तक पहुचानें का प्रयास करेगी जिसका वह हकदार हो ।

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