ह्युमन ट्रेफिकिंग के जाल में फंसती आदिवासी महिलाएं, विषय पर हुई परिचर्चा, महिलाओं की सुरक्षा की ले सरकार जिम्मेदारी

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पीयूष चन्देल, अलीराजपुर 

 राष्ट्रीय स्तर पर सखुआ टीम के द्वारा शुरु की गई ऑनलाइन डिस्कशन में रविवार को बहुत ही महत्वपूर्ण विषय ‘ह्यूमन ट्रैफिकिंग की जाल में फंसती आदिवासी महिलाए’ विषय पर परिचर्चा की गई। राष्ट्रीय पैनालिस्ट टीम में मध्यप्रदेश की ओर से मनीषा बागोले जयस नारी शक्ति जिला अध्यक्ष अलीराजपुर ने प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें मुख्यतः जोवा हांसदा मांडरेटर, डॉ सुनीता घोगरा सामाजिक कार्यकर्ता डूंगरपुर राजस्थान, सीता दिया सेक्रेटरी दिया सेवा संस्थान रांची झारखंड, मनीषा बागोले जयस नारी शक्ति अलीराजपुर मध्यप्रदेश एवं सुनीता लकड़ा सामाजिक कार्यकर्ता रांची झारखंड ने विस्तार पूर्वक अपने अपने राज्य की ह्यूमन ट्रैफिकिंग की जाल में फंसती आदिवासी समाज की महिलाओं की गंभीर स्थिति पर चर्चा की। मनीषा बागोले ने कहा कि शारीरिक शोषण से लेकर बंधुआ मजदूरी तक के लिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग की जा रही है।ड्रग्स ओर हथियारों के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑर्गनाइज्ड क्राइम हैं। 80 प्रतिशत मानव तस्करी जिस्म फरोसी के लिए होती है। एशिया की अगर बात करें, तो भारत इस तरह के अपराध का गढ़ बनता जा रहा है, और मध्यप्रदेश में भी आदिवासी समाज की महिलाओं के लिए दृष्टिकोण सही नहीं है। सरकारे महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी सुनिश्चित करें। आये दिन देश एवं प्रदेश में बलात्कार की घटना बढ़ रही है, जिसे सरकार रोकने में नाकाम हो रही है। आदिवासी समाज की लड़कियों की शादी गेर आदिवासियों के द्वारा युवतियों को बहला फुसला कर परिवार एवं माता पिता को प्रलोभन में फंसा कर की जा रही है, इस ओर समाज को विचार विमर्श कर अपना ध्यान आकृष्ट करना चाहिये ओर समाज में इस प्रकार के कार्य को बढ़ावा देने वालो का बहिष्कार होना चाहिए। किसी व्यक्ति को बल प्रयोग कर, डराकर, धोखा देकर, हिंसा जैसे तरीकों से भर्ती, तस्करी या बंधक बना कर रखना मानव तस्करी के अंतर्गत आता है, इसमें पीड़ित व्यक्ति से देह व्यापार, घरेलू हिंसा, गुलामी इत्यादि कार्य पीड़ित व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध कराये जाते हैं। इस हेतु देश की महिलाओं को भी एकजुट होने की आवश्यकता है। वेबिनार के माध्यम से आदिवासी समाज की महिलाओं को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।

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